Chandigarh/Alive News: हरियाणा के विभिन्न जिलों के सरकारी स्कूलों में तैनात 135 प्राथमिक स्कूल के हेडमास्टरों (ईएसएचएम) को शिक्षा विभाग ने बड़ा झटका दे दिया है। प्रारंभिक शिक्षा निदेशालय ने उन्हें संस्कृत शिक्षक के पद पर वापस लाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। निदेशालय ने उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी पूछा है कि उन्हें पुराने पद पर वापस क्यों नहीं किया जाना चाहिए? इसके लिए हेडमास्टरों को 15 दिन के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा गया है।
सूत्रों का दावा है कि पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में कुछ वरिष्ठ संस्कृत शिक्षकों द्वारा दायर रिट और अवमानना याचिकाओं के मद्देनजर कार्रवाई की गई है, जिसमें उन्होंने दलील दी थी कि उनके जूनियर समकक्षों को पदोन्नति के उनके अधिकार को हराकर पदोन्नत किया गया है। 2013 और 2019 के बीच सभी 135 ESHM को विभिन्न बैचों में पदोन्नति मिली।प्रारंभिक शिक्षा निदेशालय की ओर से जिला प्रारंभिक शिक्षा अधिकारियों (DEEO) को निर्देश दिया गया है कि वे 135 प्राथमिक स्कूल के हेडमास्टरों को विशेष दूतों के जरिए कारण बताओ नोटिस की डिलीवरी कराएं। साथ ही डिलीवरी की रसीद रसीद प्रारंभिक निदेशालय को तुरंत भेजें। इधर हेडमास्टरों ने इस मामले को शिक्षा मंत्री कंवर पाल गुर्जर के सामने उठाने की बात कही है।
ईएसएचएम का पद 2012 में हरियाणा स्कूल शिक्षा (ग्रुप-C) राज्य संवर्ग सेवा नियमों को अधिसूचित किए जाने के बाद अस्तित्व में आया। इसके लिए, सरकारी स्कूलों में सेवा प्रदान करने वाले संस्कृत शिक्षकों को ईएसएचएम के पद पर पदोन्नति के लिए विचार किया गया था। इसका नतीजा यह हुआ कि उन्हें 2013, 2016, 2017 और 2019 में पदोन्नत किया गया।
अदालती मामलों में पदोन्नति नियुक्ति की तारीख के आधार पर की गई क्योंकि उस समय कोई वरिष्ठता सूची तैयार नहीं की गई थी। इसके बाद 2019 में संस्कृत शिक्षकों की वरिष्ठता सूची तैयार कर अंतिम रूप दिया गया। सूची के अनुसार लंबित रिट याचिकाओं में याचिकाकर्ताओं के पदोन्नति मामलों की जांच की गई। जांच में रिक्तियों की कमी के कारण ESHM के रूप में काम करने वाले कनिष्ठतम कर्मचारियों के प्रत्यावर्तन के बिना ऐसे याचिकाकर्ताओं की पदोन्नति शुरू नहीं की जा सकती है।
वरिष्ठता की जांच में यह खुलासा हुआ है कि 135 (नियुक्ति की तारीख के आधार पर पदोन्नत) याचिकाकर्ता- कर्मचारियों से बहुत जूनियर थे, जिन्होंने HC का दरवाजा खटखटाया था। सूत्रों ने कहा कि इसलिए सभी 135 ईएसएचएम को कारण बताओ नोटिस जारी किया जाना चाहिए क्योंकि उनके पदोन्नति आदेश में विशेष रूप से उल्लेख किया गया था कि यह नियमों और शर्तों के अधीन था।