Faridabad/Alive News : सरकारी व प्राइवेट स्कूलों में दाखिला लेने वाले के विद्यार्थियों के लिए राहत भरी खबर है। अब स्कूल संचालक आधार कार्ड नहीं होने पर छात्रों को दाखिला देने से इनकार नहीं कर सकेंगे। इसके बगैर भी दाखिला देना होगा। शिक्षा विभाग ने विद्यार्थियों की सुविधा के लिए आधार कार्ड की अनिवार्यता समाप्त कर दी है। इस संबंध में मौलिक शिक्षा निदेशक पंचकूला ने सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को पत्र जारी कर दिया है।
जिला शिक्षा अधिकारी फरीदाबाद ने निदेशक कार्यालय पंचकूला से आए पत्र को आगे ब्लॉक शिक्षा अधिकारी बल्लभगढ़ व फरीदाबाद को भेज कर पत्र में लिखे आदेश का सभी प्राइवेट व सरकारी स्कूलों से कड़ाई से पालन करने के लिए कह दिया है। मंच के प्रदेश महासचिव कैलाश शर्मा ने कहा है कि स्कूल संचालक खासकर सरकारी स्कूलों के प्रधानाचार्य व हेड मास्टर नए बच्चे के दाखिले के समय आधार कार्ड होने की पहली शर्त रखते हैं। गरीब पिछड़े व झुग्गी बस्ती में रहने वाले अभिभावक अपने बच्चों का आधार कार्ड स्थाई घर न होने के कारण नहीं बनबा पाते हैं इससे उनके बच्चों का दाखिला स्कूलों में नहीं हो पाता है।
नए शैक्षणिक सत्र में विद्यार्थियों को स्कूल में प्रवेश के लिए आधार कार्ड की अनिवार्यता ने खासा परेशान किया। खास कर दूसरे राज्यों से आए परिवारों के बच्चों को आधार कार्ड नहीं होने पर दाखिले के लिए जगह-जगह धक्के खाने पड़े। यही नहीं कुछ को दाखिले से ही वंचित रहना पड़ा। इस बारे में मुख्यालय में कुछ शिकायतें पहुंची। ऐसे में अधिकारियों ने आधार कार्ड की अनिवार्यता समाप्त करने का निर्देश जारी करने का फैसला लिया। साथ ही इन निर्देशों की अनुपालना सुनिश्चित करने के निर्देश जारी किए हैं।
मंच के प्रदेश अध्यक्ष एडवोकेट ओपी शर्मा ने कहा है कि भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण ने दिसंबर 2018 में स्कूलों से कहा था कि बच्चों के दाखिले से पहले आधार कार्ड होने की शर्त ना रखें। यूआईडीएआई ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट ने सितंबर 2018 में फैसला सुनाते हुए आधार कार्ड को संवैधानिक तो बताया लेकिन इसकी अनिवार्यता पर सवाल खड़े किए ।
उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद स्कूलों और अलग-अलग परीक्षाओं में आधार कार्ड की अनिवार्यता को खत्म कर दिया गया था। शिक्षा के अधिकार के कानून में भी लिखा हुआ है कि 14 वर्ष तक की आयु तक के बच्चों को दाखिला बिना आधार कार्ड के देना होगा लेकिन स्कूल संचालकों ने इन नियमों का पालन नहीं किया। अब देखना है कि निदेशक पंचकूला के आदेश के बाद उन पर कितना अमल हो पाता है।