Faridabad/Alive News : टी.बी. एक छूत का रोग है और इसे प्रारंभिक अवस्था में ही न रोका गया तो जानलेवा साबित होता है। यह व्यक्ति को धीरे-धीरे मारता है। यह कहना है बादशाह खान अस्पताल टी. बी विभाग की चिकीत्सा अधिकारी डॉ. वीना शर्मा का। उन्होनें यह भी कहा कि टी.बी. को अन्य कई नाम से जाना जाता है, जैसे तपेदिक, क्षय रोग तथा यक्ष्मा। दुर्भाग्य है की देश में हर तीन मनट में दो मरीज क्षयरोग के कारण दम तोड़ देते हैं। और हर दिन चालीस हजार लोगों को इसका संक्रमण हो जाता है। टी.बी. रोग एक बैक्टीरिया के संक्रमण के कारण होता है। इसे फेफड़ों का रोग माना जाता है, लेकिन यह फेफड़ों से रक्त प्रवाह के साथ शरीर के अन्य भागों में भी फैल सकता है, जैसे हड्डियाँ, हड्डियों के जोड़, लिम्फ ग्रंथियां, आंत, मूत्र व प्रजनन तंत्र के अंग, त्वचा और मस्तिष्क के ऊपर की झिल्ली आदि।
टी.बी. रोग के कारण
* टी.बी. रोग के यूं तो कई कारण हैं, प्रमुख कारण निर्धनता, गरीबी के कारण अपर्याप्त व पौष्टिकता से कम भोजन, कम जगह में बहुत लोगों का रहना और स्वछता का अभाव आदि हैं।
* जिस व्यक्ति को टी.बी. है, उसके संपर्क में रहने से, उसकी वस्तुओं का प्रयोग करने से।
* टी.बी. के मरीज द्वारा यहां-वहां थूक देने से इसके विषाणु उडकऱ स्वस्थ व्यक्ति पर आक्रमण कर देते हैं।
* मदिरापान तथा धूम्रपान करने से भी इस रोग की चपेट में आया जा सकता है। साथ ही स्लेट फेक्टरी में काम करने वाले मजदूरों को भी इसका खतरा रहता है।
रोग का फैलाव
टी.बी. के बैक्टीरिया सांस द्वारा फेफड़ों में पहुंच जाते हैं, फेफड़ों में ये अपनी संख्या बढ़ाते रहते हैं। इनके संक्रमण से फेफड़ों में छोटे-छोटे घाव बन जाते हैं। यह एक्स-रे द्वारा जाना जा सकता है, घाव होने की अवस्था के सिम्टम्स हल्के नजर आते हैं। इस रोग की खास बात यह है कि ज्यादातर व्यक्तियों में इसके लक्षण उत्पन्न नहीं होते। यदि व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक शक्ति कमजोर हो तो इसके लक्षण जल्द नजर आने लगते हैं। ऐसे व्यक्तियों के फेफड़ों अथवा लिम्फ ग्रंथियों के अंदर टी.बी. के जीवाणु पाए जाते हैं। यह जीवाणु शरीर में सोई हुई अवस्था में कई वर्षों तक बिना हानि पहुंचाए रह सकते हैं।
टी.बी. के लक्षण
* भूख न लगना, कम लगना तथा वजन अचानक कम हो जाना।
*बेचैनी एवं सुस्ती छाई रहना, सीने में दर्द का एहसास होना, थकावट रहना व रात में पसीना आना।
* हलका बुखार रहना, हरारत रहना।
* खांसी आती रहना, खांसी में बलगम आना तथा बलगम में खून आना। कभी-कभी जोर से अचानक खांसी में खून आ जाना।
*गर्दन की लिम्फ ग्रंथियों में सूजन आ जाना तथा वहीं फोड़ा होना।
* गहरी सांस लेने में सीने में दर्द होना, कमर की हड्डी पर सूजन, घुटने में दर्द, घुटने मोडऩे में परेशानी आदि।
* महिलाओं को टेम्प्रेचर के साथ गर्दन जकडऩा, आंखें ऊपर को चढऩा या बेहोशी आना ट्यूबरकुलस मेनिन्जाइटिस के लक्षण हैं।
* पेट की टी.बी. में पेट दर्द, अतिसार या दस्त, पेट फूलना आदि होते हैं।
* टी.बी. न्यूमोनिया के लक्षण में तेज बुखार, खांसी व छाती में दर्द होता है।
टी.बी. का उपचार
* टी.बी. के उपचार की शुरुआत सीने का एक्स-रे लेकर तथा थूक या बलगम की लेबोरेटरी जांच कर की जाती है।
* आजकल टी.बी. के उपचार के लिए अलग-अलग एंटीबायोटिक्स/एंटीबेक्टेरियल्स दवाओं का एक साथ प्रयोग किया जाता है। यह उपचार लगातार बिना नागा 6 से 8 महीने तक चलता है।
* इस रोग की दवा लेने में अनियमितता बरतने पर, इसके बैक्टीरिया में दवाई के प्रति प्रतिरोध क्षमता उत्पन्न हो जाती है। इससे बैक्टीरियाओं पर फिर दवा का असर नहीं होता।
* उपचार के दौरान रोगी को पौष्टिक आहार मिले, वह शराब-सिगरेट आदि से दूर रहे।
* फरीदाबाद जिले में कुल 19 टी बी सेंटर खोले गए है जहां संभावित मरीज पहुंच कर नि:शुल्क जाँच करवाकर अपने शंका को दूर कर सकता है। इसके अलावा परामर्श के लिए नि:शुल्क नंबर 1800116666 पर काल करके या नजदीकी जिला अस्पताल से जानकारी हासिल की जा सकती है ।