Faridabad/Alive News: समाज में रहने वाले सभी मनुष्यों का अलग अलग व्यवहार होता है। जिनमें कुछ लोगों का व्यवहार शांति वाला होता है। तो वहीँ कुछ लोग गुस्सैल परवर्ती के होते है।, कुछ लोग आंतरिक होते है तो कुछ बाहरी। इस तरह से सभी लोग, अपने अलग अलग व्यवहार के कारण अलग होती है।
मानव मन हमेशा विचलित रहता है। यह कभी स्थिर नहीं रहता। जिसकी वजह से हमेशा कुछ न कुछ हमारे दिमाग में चलत ही रहता है। वहीँ कुछ लोग अपनी सोच को इतना गहरा कर लेते है कि फिर उस सोच से बाहर निकल पाना उनके लिए बहुत ही मुश्किल हो जाता है। मनोचिकित्सक डॉक्टर गीतांजलि के अनुसार किसी भी व्यक्ति के व्यवहार में बदलाव माता-पिता के व्यवहार से आता है। जिस व्यक्ति का जहां पालन-पोषण किया जाता है। उस वातावरण का भी प्रभाव व्यवहार पर पड़ता है। 12 से 15 की उम्र तक पता चल जाता है कि बच्चा किस परवर्ती का बनेगा ।
15 साल के तक पूर्ण रूप से व्यवहार परिवर्तन हो जाता है। साथ ही उन्होंने बताया कि हर उम्र में सभी लोगों को अलग अलग तरह की टेंशन रहती है। जिससे कभी- कभी लोग डिप्रेस हो जाता है। और डिप्रेशन की वजह से उनका व्यवहार भी अलग-अलग हो जाता है। कुछ लोग गुस्सैल हो जाते है, तो कुछ लोग शांत परवर्ती की हो जाते है। डिप्रेशन के कारण लोगों को नींद भी अधिक आने लगती है। और चिड़चिड़े होने लग जाते है। डिप्रेशन से बचाव के लिए योग करना चाहिए। यदि डिप्रेशन और चिंता अधिक होने लगे तो तुरंत से सम्पर्क करे।
मनोचिकित्सक डॉक्टर गीतांजलि की माने तो भारत का हर तीसरा व्यक्ति डिप्रेसिन का शिकार हो रहा है। जिसे लोग बहुत ज्यादा नजरअंदाज करते है। क्योंकि लोग इसके बारे में अधिक जागरूक नहीं है।