November 8, 2024

स्कूल में लड़के या लड़कियों के संबोधन पर पाबंदी, छात्र शब्द का करना होगा इस्तेमाल

New Delhi/Alive News: राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद ने कहा है कि स्कूलों में लड़के और लड़कियों के संबोधन के बजाय छात्र या बच्चों जैसे लिंग समावेशी भाषा या शब्दों का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। जब हम किसी छात्र को लड़के या लड़की के नाम से संबोधित करते हैं तो अनजाने में ही ट्रांसजेंडर छात्रों के साथ शुरुआत में ही भेदभाव हो जाता है।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की सिफारिशों के तहत एनसीईआरटी ने ट्रांसजेंडर को लेकर स्कूलों में उपयोग के लिए दिशानिर्देश का मसौदा तैयार किया है। इसमें राज्य शिक्षकों स्कूल प्रबंधन के लिए अलग-अलग सुझाव दिशा निर्देश हैं। इस मसौदा के माध्यम से एनसीईआरटी विशेषज्ञों की टीम ने लिंग निरपेक्षता पर जोर दिया है। इसके अलावा संबोधन या नाम पुकारने में अभद्र भाषा और शब्द के प्रयोग करने पर रोक लगाने का भी निर्देश दिया है।

एनसीईआरटी के जेंडर स्टडीज विभाग की ओर से गठित 16 सदस्य समिति ने स्कूली प्रक्रियाओं में ट्रांसजेंडर की चिंता का संयोजन शीर्षक से मसौदा तैयार किया है। इसमें लिखा है कि आम बच्चों की तरह ट्रांसजेंडर बच्चों को भी समाज में अच्छी शिक्षा का अधिकार है। इसलिए उन्हें भी बिना किसी भेदभाव के शिक्षा मिलनी चाहिए।

इसमें कहा गया है कि सभी आवेदन पत्रों एवं सभी तरह के पाठ्यक्रमों के प्रमाण पत्रों में ट्रांसजेंडर श्रेणी को शामिल किया जाए। उनके लिए छात्रवृत्ति का प्रावधान करने के साथ ही स्वास्थ्य देखने पर विशेष ध्यान दिया जाए। ट्रांसजेंडर श्रेणी के छात्रों की मदद के लिए प्रशिक्षित काउंसलर तैनात किए जाएं। उन्हें स्थानीय और राष्ट्रीय आपात हेल्पलाइन नंबर की जानकारी भी दी जाए।

इस मसौदे में शिक्षकों के लिए ट्रेनिंग का भी प्रावधान किया गया है। ट्रेनिंग के आधार पर उनकी परीक्षा भी होगी। शिक्षक संस्थानों को ट्रांसजेंडर शिक्षकों और कर्मियों की नियुक्ति करने को भी कहा गया है।