November 18, 2024

नंगला गुजरान के सरकारी स्कूल में बच्चें जान जोखिम में डालकर पढ़ने को मजबूर, पढ़िए

Faridabad/Alive News: नंगला-गाजीपुर रोड़ स्थित प्राइमरी और सीनियर सेकंडरी मॉडल संस्कृति स्कूल का भवन जर्जर हो चुका है। आलम यह है कि स्कूल में शिक्षकों की बेहद कमी है। वहीं, बच्चे मिड़- डे मिल में लगातार चावल खाने से बीमार पड़ रहे है। स्कूल में साफ- सफाई न रहने से स्कूल में सांप बिच्छु निकल रहे है और बरसात में स्कूल के लगभग सभी कमरों की छतों से पानी टपकता है। स्कूल की छत से टपक रहे पानी से शिक्षक व छात्र परेशान है। कक्षाओं की दीवारों में दरारें पड़ गईं हैं। दीवारों से पानी रिसकर कमरों में भर जाता है, जिससे बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होती है। स्कूल में जिम्मेदारों की अनदेखी के चलते बच्चों की जान जोखिम में है। स्थिति इतनी ज्यादा खराब है कि स्कूल में पहली से पांचवी तक के बच्चों के बैठने के लिए कमरे भी नहीं है। जिसके कारण बच्चे बरामदे में बैठकर पढ़ाई करने को मजबूर है।

स्कूल की टपकती छत और झड़ता लेंटर

शिक्षकों की है कमी
जिले के स्कूलों में शिक्षक तबादला नीति के कारण पहले से ही सरकारी स्कूलों में अध्यापकों की काफी कमी चल रही थी, दूसरी ओर जेबीटी शिक्षक की बीएलओ ड्यूटी लगाने के कारण बच्चों की पढ़ाई नहीं हो पा रही है। नंगला गुजरात के स्कूल में 17 शिक्षक कार्यरत है, लेकिन इनमें से करीब 10 शिक्षक इस समय बीएलओ ड्यूटी पर हैं बाकी शिक्षकों को सेकेंडरी स्कूल में पढ़ाने के लिए लगाया हुआ है। ऐसे में पूरे प्राइमरी स्कूल में केवल 3 से 4 शिक्षक है। शिक्षक की कमी के कारण सभी क्लास एक साथ बरामदे में लगाई जा रही है और बच्चों की पढ़ाई करवाई जा रही है। इसके अलावा सीनियर सेकेंडरी स्कूल में टीजीटी शिक्षकों के करीब 10 और पीजीटी शिक्षकों के 14 पद खाली पड़े हैं। स्कूल में शिक्षकों की भारी कमी होने के कारण बच्चों की पढ़ाई बाधित हो रही है और स्कूल को दो शिफ्ट में चलाया जा रहा है।

स्कूल के बरामदे में बैठकर पढ़ते बच्चे

मिड-डे मील में रोज चावल खाने से बिगड़े बच्चों की तबीयत
स्कूल में सरकार द्वारा बच्चों के बौद्धिक और शारीरिक विकास के लिए रोज स्कूल में एक समय मिड-डे मील दिया जाता है। लेकिन हर रोज बच्चों को खाने में कभी दाल चावल, छोले चावल तो कभी कढ़ी चावल परोसा जा रहा है। खाने में रोज चावल खाने से बच्चे परेशान हो चुके हैं और कई बच्चों की तो तबीयत भी बिगड़ चुकी है। बच्चे मिड-डे मील में चावल ना परोसने की मांग कर रहे हैं। इसके अलावा बच्चों की शिकायत है कि उन्हें पिछले कई माह से खाने में दूध भी नहीं परोसा जा रहा।

स्कूल में निकलते हैं सांप-बिच्छू
स्कूल सोहना रोड से काफी नीचे होने के कारण बरसात का पानी स्कूल में भर जाता है ऐसे में स्कूल के पीछे वाला हिस्सा खंडहर पड़ा हुआ है और उसमें से बारिश के समय सांप-बिच्छू निकलते हैं और बच्चों की क्लास तक पहुंच चुके है, जो बच्चों के लिए बेहद खतरनाक साबित हो सकते हैं। लेकिन गनीमत है कि अब तक किसी भी बच्चे को सांप-बिच्छू ने कोई नुकसान नहीं पहुंचाया है।

अंधेरे में पढ़ाई करते बच्चे

क्या कहना है प्रिंसिपल का
इस स्कूल की बिल्डिंग काफी पुरानी है और पिछले कई सालों से इसकी मरम्मत न होने के कारण कक्षाओं की दीवारों में और छत में दरारें पड़ गई हैं। जिसके कारण बारिश में छत टपकने लगती है। ऊपर से स्कूल इंडस्ट्रियल एरिया के समीप लगता है और सड़कों से भारी वाहनों का आवागमन होता है। ऐसे में इस सड़क पर बच्चों की सुरक्षा के लिए स्पीड ब्रेकर होने चाहिए, जोकि नहीं है। बारिश के समय स्कूल में कई बार सांप-बिच्छू भी घूमते पाए गए हैं। लेकिन विडंबना यह है कि इस बारे में हमने जिला शिक्षा कार्यालय और उपायुक्त को पत्र के माध्यम से अवगत है। लेकिन अभी तक कोई सुनवाई नहीं हुई।
-अजय सिंह, प्रिंसिपल मॉडल संस्कृति स्कूल नंगला गुजरान।

क्या कहना है अधिकारी का
स्कूल के हालात इतने खराब नहीं है। हां, लगभग सभी स्कूलों की इमारत जर्जर हो चुकी है। कई स्कूल प्रिंसिपल की तरफ से शिकायतें आ रही हैं। जिला शिक्षा कार्यालय की ओर से उच्च अधिकारियों को अवगत करा दिया गया है। जहां तक बात है मिड-डे मिल की तो सभी स्कूलों में एक जैसा ही खाना बच्चों को दिया जाता है। अगर, मिड-डे मील के कारण बच्चों की तबीयत खराब हो रही है तो स्कूल में टीम भेजकर मिड-डे मील की जांच करवाई जाएगी। मिड-डे मील में बच्चों को मिलने वाला दूध जुलाई माह से नहीं आया है। अगले सप्ताह तक आने की उम्मीद जताई जा रही है।
-मुनेष चौधरी, जिला शिक्षा अधिकारी फरीदाबाद।