Faridabad/Alive News: हरियाणा के फरीदाबाद जिले में प्रत्येक गरीब परिवार को स्वास्थ्य सुविधाओं का बेहतर लाभ मिल सके। उसके लिए भाजपा सरकार ने ग्रेटर फरीदाबाद में एशिया का सबसे बड़ा अमृता अस्पताल खुलवाया। लेकिन इन सब के बीच सरकार अस्पताल तक मरीजों के पहुंचने के लिए सार्वजनिक वाहनों की व्यवस्था करना भूल गई।सार्वजनिक वाहनों के अस्पताल तक न जाने से मरीज व तीमारदार काफी परेशान हैं। सार्वजनिक वाहनों की अस्पताल से सीधे कनेक्टिविटी ना होने के कारण मरीजों और तीमारदारों को मंहगा किराया देकर प्राइवेट ऑटो या कैब करके अस्पताल तक पहुंचना पड़ रहा है, जो मरीजों को काफी महंगा पड़ रहा है
सेक्टर और कॉलोनियों से नहीं है कनेक्टिविटी
ग्रेटर फरीदाबाद में जब अमृता अस्पताल शुरू किया गया तो इस अस्पताल का उद्घाटन करने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहुंचे थे और सरकार ने इस अस्पताल को लेकर लोगों को बड़े-बड़े सपने दिखाए थे। वहीं अमृता अस्पताल शुरू हुए दो-तीन महीने बीत चुके हैं। लेकिन जिले के सेक्टर और कॉलोनियों से अब तक अस्पताल की कोई कनेक्टिविटी नहीं की गई है।
सरकारी और निजी के बीच उलझे लोग
जहां एक तरफ अमृता अस्पताल तक पहुंचने के लिए लोगों को प्राइवेट वाहनों का प्रयोग करना पड़ रहा है। वहीं दूसरी ओर लोगों में अभी भी अस्पताल के सरकारी और निजी होने को लेकर कन्फ्यूजन बनी हुई है। क्योंकि प्रदेश की सरकार ने उद्धाटन के लिए अमृता अस्पताल को जनता में इस तरह पेश किया था जैसे फरीदाबाद में केन्द्र सरकार निजी नही सरकारी अस्पताल की शुरुआत कर रही है। अभी भी शहर के ज्यादातर लोग अमृता अस्पताल को सरकारी अस्पताल समझ रहे हैं जबकि यह अस्पताल प्राइवेट है।
क्या कहना है लोगों का
अमृता अस्पताल में ओपीडी चार्ज है बेहद कम
अमृत अस्पताल में सेक्टर 88 अमौलिक हाइट से अपना इलाज कराने आई आंचल माथुर ने बताया कि अमृता अस्पताल कि भले ही अन्य सेक्टरों और कॉलोनियों से कोई कनेक्टिविटी नहीं है। लेकिन इस अस्पताल में ओपीडी चार्ज जिले के अन्य प्राइवेट अस्पतालों से काफी कम है। जिले के अन्य निजी अस्पतालों में ओपीडी चार्ज 700 से 1000 रुपए तक वसूले जा रहे हैं लेकिन अमृता अस्पताल में ओपीडी चार्ज केवल 200 है।
डबुआ से अमृता अस्पताल में इलाज के लिए आने वाली ने संगीता भारद्वाज ने बताया कि यहां तक कोई गाड़ी न आने से बहुत दिक्कत हो रही है, क्योंकि छोटे बच्चों को भी पैदल चलाना पड़ता है। उन्होंने सरकार से सार्वजनिक वाहनों को अस्पताल तक संचालित करने की अपील की है।
इलाज के लिए जवाहर कॉलोनी से अस्पताल आईं प्रिया ने बताया कि बुजुर्गों और बीमारों को अस्पताल तक पहुंचने के लिए काफी पैदल चलकर आना पड़ता है। उन्होंने कहा कि जिनके परिवार वाले और बच्चे हैं, वह छोड़ भी जाएं तो जिनका कोई नहीं है, उनके लिए यहां तक आना आफत बन जाता है। सरकार को अस्पताल तक बस संचालित करनी चाहिए, ताकि यहां तक आसानी से पहुंचा जा सके।
पर्वतीय कॉलोनी से अमृता अस्पताल में इलाज के लिए पहुंची सुनीता रावत ने बताया कि उन्हें यहां तक पहुंचने के लिए पर्सनल कैब बुक करना पड़ा है। जिसमे अस्पताल की ओपीडी से ज्यादा कैब का किराया लग जाता है। अस्पताल के लिए कई बार तो बच्चों को लेकर पैदल भी चलना पड़ता है।