Faridabad/Alive News: समाज कल्याण विभाग का भी अपना अनोखा फंडा है। जिसे चाहे मृत और जिसे चाहे विकलांग घोषित कर दें। इसलिए तो कहते हैं कि मुर्दा बोलता है। ऐसा ही एक मामला फरीदाबाद जिले से सामने आया है। जहां समाज कल्याण विभाग ने एक बुजुर्ग को सरकारी रिकॉर्ड में मृत और एक बुजुर्ग महिला को विकलांग घोषित कर उनकी पेंशन बंद कर दी है। तब से बुजुर्ग अपने आप को जिंदा और स्वस्थ साबित करने का सबूत लेकर सरकारी दफ्तर के चक्कर काट रहे है। लेकिन कई महीने बीतने के बाद भी कहीं कोई सुनवाई नही हो रही।
दरअसल, फरीदपुर गांव के रहने वाले बुजुर्ग पिछले कई महीनों से जिंदा और स्वस्थ होने के दस्तावेज लेकर सरकारी कार्यालस के चक्कर काट रहे है और ‘अभी मैं जिंदा हूं’ का जीता जागता सबूत दे रहे हैं। इसके अलावा बुजुर्ग कभी समाज कल्याण विभाग को कोस रहे हैं तो कभी कर्मचारियों पर काम में लापरवाही बरतने का आरोप लगा रहे है। दोनों बुजुर्गों का आरोप है कि उनके जिंदा और स्वस्थ होने के बाबजूद जिला समाज कल्याण विभाग के कर्मचारियों ने उन्हें सरकारी दस्तावेजों में मृत और विकलांग दर्शा दिया है। जिसके कारण सरकार ने उनकी पेंशन रोक दी है। इससे अब जिला समाज कल्याण विभाग के कर्मचारियों की कार्यशैली पर भी सवाल खड़े होने लगे है।
वहीं मिली जानकारी के अनुसार जिला कल्याण विभाग ने गलत डाटा तैयार कर पिछले 8 से 9 महीने में लगभग 3 हजार बुजुर्गों का पेंशन काट दिया है। जिसके कारण बुजुर्ग जिला समाज कल्याण विभाग के चक्कर लगा- लगा कर परेशान हो रहे है। वहीं बुजुर्ग राजा राम का कहना है कि एक तरफ सरकार विधवा और विकलांगो को घर घर जाकर पेंशन देने का दावा कर रही। लेकिन जमीना हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है। कार्यालय के कर्मचारी गलती करने के बाद सीधे मुंह बात तक नहीं करते और पेंशन में सुधार कर फिर से चालू करवाने का आश्वासन देकर बुजुर्गों से अतिरिक्त पैसो की मांग करते है। साथ ही बुजुर्गों ने सरकार से सवाल करते हुए कहा कि सरकार ही बताएं कि गरीब बुजुर्ग चण्डीगढ़ कैसे जाए जिस पर खाने के लिए भी पैसा नही है। साथ ही बुजुर्गों ने कहा कि अगर सभी कार्य चंड़ीगढ़ से करवाने है तो सरकार ने जिले में यह दफ्तर क्यों खोले हुए है।