Chandigarh/Alive News: हरियाणा में गरीब बच्चों को निजी विद्यालयों में मुफ्त शिक्षा मुहैया कराने के लिए प्रदेश सरकार ने एक बार फिर रणनीति बदली है। नियम 134-ए को पूरी तरह खत्म करने का फैसला वापस लेते हुए प्रदेश सरकार ने अब हर साल एक कक्षा को इस नियम के दायरे से बाहर करने का निर्णय लिया है। मौजूदा शैक्षणिक सत्र में जहां पहली कक्षा में शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई) के तहत दाखिले होंगे, वहीं दूसरी से बारहवीं तक की कक्षाओं में नियम 134-ए के तहत दाखिले दिए जाएंगे। इसके अलावा माडल संस्कृति स्कूलों में अंग्रेजी के साथ ही हिंदी माध्यम से भी पढ़ाई कराई जाएगी।
माडल संस्कृति स्कूलों में सिर्फ अंग्रेजी माध्यम में दाखिले देने के आदेशों को भी वापस लिया गया है। शिक्षा मंत्री कंवरपाल गुर्जर ने मंगलवार को पत्रकारों से बातचीत में कहा कि एक लाख 80 हजार रुपये सालाना से कम वार्षिक आय वाले परिवारों के बच्चों को पहली कक्षा में आरटीई तथा दूसरी से बारहवीं तक के बच्चों को नियम 134-ए के तहत दाखिले दिए जाएंगे।
इन बच्चों की फीस की प्रतिपूर्ति सरकार करेगी। मान्यता प्राप्त स्कूलों को दूसरी से लेकर पांचवीं कक्षा तक के लिए 700 रुपये, छठी से आठवीं तक 900 रुपये और नौवीं से 12वीं तक प्रति छात्र 1100 रुपये की प्रतिपूर्ति की जाएगी। हर साल एक कक्षा को 134-ए के दायरे से निकाला जाएगा। यानी कि अगले साल दूसरी, उससे अगली साल तीसरी। इस तरह यह क्रम चलता रहेगा और आगामी 12 वर्षों में 134-ए पूरी तरह से खत्म हो जाएगी।
शिक्षा मंत्री ने बताया कि पांच मई को रोहतक से सरकारी स्कूलाें में पढ़ रहे दसवीं से 12वीं तक के बच्चों को टैबलेट बांटने की शुरुआत होगी। एक महीने के अंदर दो लाख पांच हजार बच्चों को टैब बांटने का लक्ष्य है। इन टैबलेट की एक साल की गारंटी है। इस दौरान यदि टैबलेट खराब होते हैं तो कंपनी ही उसे ठीक करवाएगी। इसी तरह अस्थायी मान्यता प्राप्त 1200 स्कूलों को एक साल की एक्सटेंशन दी जाएगी। जहां तक रेशनेलाइजेशन की बात है, यह जिला शिक्षा अधिकारी तय करेंगे कि किस स्कूल में बच्चों की संख्या कितनी होनी चाहिए।