Faridabad/Alive News: ज़िंदगी के कड़वे अनुभव या हमारे भीतर का डर कई बार इतना हावी हो जाता है कि हम लंबे पतझड़ के बाद आई बहार को भी स्वीकार नहीं कर पाते। यही डर फोर्थ वाॅल प्रोडक्शंस और फ़रीदाबाद नगर निगम के सहयोग से आयोजित आठ दिवसीय तीसरे फ़रीदाबाद थियेटर फेस्टिवल के चौथे दिन नाटक ”पतझड़ के बाद” में दिखाया गया। रोज़ गार्डन के ओपन एयर ओडिटोरियम में हुए इस नाटक में दो ऐसे प्रौढ़ों की कहानी दिखाई गई जो परिस्थितियों के वशीभूत होकर वृद्धाश्रम में रहने को मजबूर हैं।
बियॉन्ड इमेजिनेशन, दिल्ली की ओर से सुरेंदर सागर द्वारा लिखे और निर्देशित पतझड़ के बाद में सुरेन्द्र सागर और वन्दना कपूर के जीवंत अभिनय ने दर्शकों को भाव-विभोर कर दिया। सुधा एक रिटायर्ड प्रिंसिपल है। उसे बांझ होने के झूठे आरोपों से त्रस्त होकर ससुराल और मायका दोनों छोड़ने पड़े तथा वह वृद्धाश्रम में रहने को मजबूर हो गई। इधर, बैंक मैनेजर कमल भटनागर का बेटा और बेटी अमेरिका में रहते हैं।
छोटी-छोटी बातों पर नोकझोंक के बाद कमल और सुधा में दोस्ती हो जाती है। दोनों अपने अकेलेपन से परेशान हैं और एक-दूसरे का साथ चाहते हैं। कमल जब सुधा को प्रपोज़ करता है, तो वह भी खुश हो जाती है। उसे लगता है कि जीवन में बहार आने ही वाली है। इसी बीच कमल उसे अपनी पत्नी के प्यार के बारे में बताता है, तो सुधा डर जाती है कि पूर्व पत्नी को इतना प्यार करने वाला अगर उसे पूरा प्यार नहीं दे पाया तो कहीं फिर से उसके जीवन में पतझड़ न आ जाए।
नाटक ने महिलाओं की स्थिति, पुरुषप्रधान मानसिकता, वृद्ध मां-बाप की उपेक्षा व अकेलेपन की पीड़ा को बड़े ही मार्मिक ढंग से प्रस्तुत किया। बानगी के तौर पर वर्तमान में बुजुर्ग मां-बाप के प्रति बच्चों की सोच को दिखाता कमल का एक संवाद देखिए-“अमेरिका में जब बेटे को मां की मृत्यु की सूचना मिली, तो अपनी बहन से कहता है कि बहन, मां गुजर गई है, तुम चली जाओ।