Faridabad/Alive News: नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती को भारत सरकार द्वारा पराक्रम दिवस घोषित किये जाने के उपलक्ष्य में डी.ए.वी. शताब्दी महाविद्यालय में इस विषय पर विशेष संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी का उद्देश्य छात्रों को नेताजी के जीवन के अहम पहलुओं और देश के लिए सर्वस्व समर्पण की भावना से अवगत कराना रहा।
संगोष्ठी में अरुंधती कावड़कर, प्रिंसिपल, सैनिक स्कूल चंद्रपुर मुख्य वक्ता के रूप में जुड़ीं। मुख्य वक्ता अरुंधती कावड़कर ने कहा कि ऐसे अनेकों लोग हुए जिन्होंने स्वतंत्रता पाने के लिए अपना सर्वस्व दांव पर लगा दिया, उन्हीं में से एक व्यक्ति थे- नेताजी सुभाष चंद्र बोस जिन्हें भारतीय योगी भी कहा जाता है क्योंकि एक सन्यासी जैसा उनका जीवन था।
1905 के बंग भंग के बाद वंदे मातरम स्वतंत्रता समर का मंत्र बना और लोगों को ये अहसास हुआ की ये भारतवर्ष मेरी माँ है और माँ के टुकड़े नहीं हुआ करते। आई.सी.एस. की परीक्षा पास की और इंग्लैंड में रहकर अन्य देशों की स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए किये गए संघर्ष व् उनकी स्वतंत्रता प्राप्ति का गहन अध्ययन किया।
महाविद्यालय प्राचार्या डॉ. सविता भगत ने कहा कि देश की लिए अपना सर्वस्व समर्पित करने वाले महान व्यक्तियों और सेनानियों को न केवल याद करना चाहिए बल्कि आने वाली पीढ़ी को उनके त्याग और बलिदान से शिक्षा भी लेनी चाहिए इस तरह के कार्यक्रमों का उद्देश्य छात्रों को इस बात से परिचित करना है कि हम जिस आजाद भारत में आज अधिकारों के साथ रह रहे हैं, जिस आजादी का आज हम आनंद ले रहे हैं, ये आजादी इतनी आसानी से नहीं मिली।