Chandigarh/Alive News: अब कोरोना के नए वैरिएंट की पहचान एमडीयू रोहतक में संभव हो गई है। यहां आर्य भट्ट लैब में आई नेक्स जेन जीनोम सीक्वेंसिंग लैब के लिए सरकार ने एक करोड़ 22 लाख 89 हजार 280 रुपये की ग्रांट मंजूर कर दी है। इससे एमडीयू लैब के लिए 3000 सैंपल की सीक्वेंसिंग रीजेंट खरीद सकेगा। यह रीजेंट आने वाले छह महीने तक इस्तेमाल हो सकेगा। सरकार के स्वास्थ्य विभाग से प्रशासनिक व वित्तीय मंजूरी मिलने पर एमडीयू कुलपति प्रो. राजबीर सिंह ने स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज का आभार जताया है। अब तक जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए सैंपल दिल्ली भेजे जा रहे थे।
एमडीयू में हाल ही में जीनोम सीक्वेंसिंग लेबोरेट्री (जीएसएल) स्थापित की गई है। यहां जीनोम उपकरण आने के बाद लैब को इंडियन एसएआरएस-सीओवी 2 कंसोर्टियम में भी शामिल किया गया है। इस इंडियन जेनोमिक्स कंसोर्टियम में एमडीयू एक मात्र विश्वविद्यालय है। इसके अलावा इस कंसोर्टियम में एसएमएस मेडिकल कालेज जयपुर, पास्चर मॉलीक्यूलर लेबोरेट्री शिलांग, स्टेट पब्लिक हेल्थ लेबोरेट्री चेन्नई व लोक नायक अस्पताल एवं मौलाना आजाद मेडिकल कालेज नई दिल्ली को भी शामिल किया गया है। लैब में जीनोम सीक्वेंसिंग पर काम करने के लिए रीजेंट की जरूरत थी।
इसके लिए सरकार से ग्रांट मिलने का इंतजार था। सरकार से 1.22 करोड़ की ग्रांट मिलने से अब लैब में जीनोम सीक्वेंसिंग संभव हो गई है। इससे अब कोरोना के नए वैरियंट की पहचान एमडीयू में की जा सकेगी। अब तक इसके लिए दिल्ली की लैब से रिपोर्ट जारी होने का इंतजार रहता था। इस इंडियन एसएआरएस-सीओवी 2 जेनोमिक्स कंसोर्टियम के तहत कोविड-19 के संबंधित आरएनए सैंपल की जीनोम सीक्वेंसिंग संभव होगी। इस जीएसएल के तत्वावधान में वायरल, माइक्रोबियल, एनीमल, प्लांट व इनवायरमेंटल जीनोम्स की सीक्वेंसिंग की सुविधा उपलब्ध है।
इस उन्नत प्रयोगशाला के शोध संबंधित कार्यों से न केवल एमडीयू का शोध इको-सिस्टम सुदृढ़ होगा, बल्कि नवोन्मेषी चिकित्सीय समाधान भी सुनिश्चित होगा। एमडीयू की जीनोम सीक्वेंसिंग लैब के लिए 1.22 करोड़ रुपये की ग्रांट मंजूरी हो गई है। स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने जीएसएल में जीनोम सीक्वेंसिंग की प्रक्रिया के लिए जरूरी रीजेंट्स व किट्स की खरीद राशि स्वीकृत की है। यह सराहनीय है। इससे लैब में जीनोम सीक्वेंसिंग का काम संभव हो गया है।