November 17, 2024

ध्यान-कक्ष की छटा देखने पहुंचे बुढैना के पार्षद और विद्यार्थी

Faridabad/Alive News : ग्राम भूपानि स्थित, ध्यान कक्ष को आज देखने आए बुढैना के पार्षद नरेश कुमार और उनके समस्त साथी तथा विद्या दर्शन स्कूल के विद्यार्थी पहुंचे। ध्यान कक्ष पहुंचने पर उन्हें अपसी बातचीत के दौरान समझाया गया कि मनुष्य के मन में जब तक अपने जीवन के परम पुरुषार्थ को सिद्ध करने के प्रति दिलचस्पी, सच्ची चाह, रुचि, उमंग, उत्साह व उत्कंठा नहीं पैदा होती।

तब तक वह उसे कदापि प्राप्त नहीं कर पाता। लक्ष्य पाने की इस अभीप्सा के निरंतर जीवन्त, ज्वलन्त, जाग्रत और निष्काम रहने पर ही व्यक्ति अपने मन-चित्त को विमल यानि निष्कलुष कर पाता है और स्वत: ही उस शुद्ध चित्त वैरागी का ख़्याल व ध्यान, एकाग्र होकर सटीक लक्ष्य पर टिक जाता है। इस प्रकार मन-बुद्धि व चित्त के आधार स्वरूप परमात्मा में स्थिर हो जाने पर वह निरहंकारी मानव अपने जीवन संचालन हेतु उसी हृदय में निहित सत्य ज्ञान स्रोत से ही, सब कुछ प्राप्त करता है और उन्हीं आत्मविचारों अनुसार सही दिशा में क्रियावन्त हो जीवन के शाश्वत मूल्यों के प्रकाश में अपना सकारात्मक विकास कर एक आत्मतुष्ट व धीर बुद्धिमान व बलवान इंसान की तरह इस मायावी जगत में निर्लिप्तता से विचरता है। इस तरह वह निष्पाप जीवन जीता हुआ अंत जोति नाल जोत हो जाता है अर्थात्‌ आत्मपद की प्राप्ति कर लेता है।

इसके विपरीत यदि व्यक्ति में लक्ष्य पूर्त्ति की सच्ची अभीप्सा नहीं होती तो मानव का जीवन अत्यन्त स्थूल व ऐन्द्रिक आवश्यकताओं की पूर्ति का साधन मात्र बन जाता है यानि वह एक ऐसा जीवन जीने का आदि हो जाता है। जिसमें सिर्फ पेट
की भूख, वासनापूर्ति और अनंत भौतिक क्षुधा की दौड़ लगी रहती है। इसी कारण वह परमार्थ के सद्‌-मार्ग से भटक स्वार्थी, आत्मकेन्द्रित और दानवीय प्रवृत्ति का इंसान बन जाता है। इस प्रवृत्ति की अधिकता उस अहंकारी को मोह-माया में उलझा, कामी, क्रोधी व लोभी बना, उसका मानसिक संतुलन बिगाड़ देती है। परिणामस्वरूप सांसारिकता का भाव अपनाना उस भ्रमित बुद्धि इंसान की विवशता हो जाती है।

परिस्थिति और परिदृश्यों को निराश मन से जस का तस स्वीकार कर लेते हैं। किन्तु लक्ष्य की ओर केन्द्रित रुचि सम्पन्न लोग समभाव समदृष्टि के अनुशीलन द्वारा प्रसन्नचित्त होकर संतोष और धैर्य बल पर परिस्थिति और परिदृश्य को
बेहतर दिशा में ले जाने के लिए स्वभावत: विवेकशीलता से लगनशील रहते हैं और बुरी परिस्थितियों को भी अच्छा बना लेते हैं।