April 30, 2024

जानें अपरा एकादशी व्रत की पूजा विधि और महत्व

ज्येष्ठ मास के कृष्णपक्ष की एकादशी को अपरा या अचला एकादशी कहते हैं। इसे भद्रकाली एकादशी और जलक्रीड़ा एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इस साल अपरा एकादशी 06 जून को है। हिंदू पंचांग के अनुसार हर माह में दो बार एकादशी तिथि पड़ती है। एक बार कृष्ण पक्ष में और एक बार शुक्ल पक्ष में। साल में कुल 24 एकादशी पड़ती हैं।

हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व होता है। हर महीने कृष्ण व शुक्ल पक्ष में एकादशी व्रत रखा जाता है। ऐसे में हर महीने दो व्रत रखे जाते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अपरा एकादशी का व्रत व पूजन करने से व्यक्ति के पापों का अंत होता है। भक्त की सभी मनोकामनाएं पूरी होने की भी मान्यता है।

पूजा विधि
सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर घर के मंदिर में दीप जलाएं। भगवान विष्णु का गंगा जल से अभिषेक करें और भगवान विष्णु को पुष्प और तुलसी दल अर्पित करें। अगर संभव हो तो इस दिन व्रत भी रखें। भगवान की आरती पूरी करके भोग लगाएं। इस बात का विशेष ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है। भगवान विष्णु के भोग में तुलसी को जरूर शामिल करें। ऐसा माना जाता है कि बिना तुलसी के भगवान विष्णु भोग ग्रहण नहीं करते हैं। इस दिन भगवान विष्णु के साथ ही माता लक्ष्मी की पूजा भी करें।

व्रत पारण का समय
अपरा एकादशी तिथि का आरंभ- 5 जून 2021 को 4 बजकर 7 मिनट से है और इसका समापन जून 6, 2021 को सुबह 6 बजकर 19 मिनट पर है। अपरा एकादशी व्रत पारण मुहूर्त- 7 जून 2021 को सुबह 5 बजकर 12 से सुबह 07:59 तक रहेगा।

महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अपरा एकादशी का व्रत रखने से मनुष्य को आर्थिक समस्याओं से छुटकारा मिल जाता है। इस पावन दिन व्रत रखने से सभी तरह के पापों से मुक्ति मिलती है। धार्मिक कथाओं के अनुसार पांडवों ने भी अपरा एकादशी का व्रत किया था। इस व्रत को करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।