मेक इन इंडिया युवाओं की क्षमता और समर्थ की परीक्षाः प्रो. कुठियाला
Faridabad/Alive News
वाईएमसीए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, फरीदाबाद में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की मेक इन इंडिया में भूमिका को लेकर चल रहा तीन दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन आज संपन्न हो गया।
सम्मेलन के समापन सत्र में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल के कुलपति प्रो. बृज किशोर कुठियाला ने संबोधित किया। उन्होंने कहा कि मेक इन इंडिया अभियान को समर्थ एवं सक्षम भारत की बुनियाद है। मेक इन इंडिया अभियान को भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष से जोड़ते हुए प्रो. कुठियाला ने कहा कि हरित क्रांति से देश को कृषि के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाना मेक इन इंडिया का पहला सफल उदाहरण था। हमारे वैज्ञानिकों ने पोखरण परीक्षा द्वारा देश को रक्षा के क्षेत्र में सक्षम बनाया। इसके बाद परम कम्प्यूटर तथा क्रायोजेनिक इंजन का निर्माण भारतीय वैज्ञानिकों की क्षमता की मिसाल है। उन्होंने कहा कि मेक इन इंडिया भारतीय युवाओं की क्षमता एवं सामर्थ की परीक्षा है और इसकी सफलता के लिए युवाओं को बडा योगदान देना होगा।
प्रो. कुठियाला ने कहा कि मेक इन इंडिया, स्किल इंडिया, स्टार्ट अप जैसे अभियान आज युवाओं को आगे बढ़ने के लिए बेहतरीन मंच प्रदान कर रहे है और अब यह युवा शक्ति पर निर्भर करता है कि अपनी क्षमताओं का प्रयोग किस प्रकार करते है।
समापन सत्र की विशिष्ट अतिथि वाईएमसीए विश्वविद्यालय की पूर्व कुल सचिव डॉ शिमला ने कहा कि मेक इन इंडिया अभियान का मुख्य केन्द्र बिन्दू देश का आर्थिक विकास तथा कौशल विकास है और शिक्षण संस्थान कौशल आधारित शिक्षा
तीसरे दिन सम्मेलन के पहले सत्र को भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक में उप-महाप्रबंधक श्री एस पी सिंह ने संबोधित किया। उन्होंने मेक इन इंडिया के तहत युवाओं को नये उद्यम स्थापित करने के लिए प्रेरित किया। वरिष्ठ अनुसंधान वैज्ञानिक-आईपी ऋचा प्रकाश ने बौद्धिक संपदा अधिकारों पर अपना वक्तव्य प्रस्तुत किया। उन्होंने पेटेंट, टेऊडमार्क तथा सेवा चिन्हों संबंधी नियमों पर चर्चा की तथा नई प्रौद्योगिकी एवं अनुसंधान कार्यों में इसकी उपयोगिता के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि किस प्रकार पेटेंट करवाकर बौद्धिक संपदा को सुरक्षित रखा जा सकता है।
सत्र को संबोधित करते हुए अग्रवाल कालेज, बल्लभगढ़ के प्रिंसिपल डॉ कृष्णकांत गुप्ता ने मेक इन इंडिया के संदर्भ में विद्यार्थियों को नये अनुसंधान एवं प्रयोगों के लिए प्रेरित किया तथा कहा कि देश में प्रौद्योगिक विकास के लिए बेहद जरूरी है कि वैचारिक आदान-प्रदान को बढ़ावा मिले। सत्र की अध्यक्षता कुलपति डॉ दिनेश कुमार ने की तथा फैकल्टी आफ इंजीनियरिंग एवं टेक्नोलॉजी प्रो. संदीप ग्रोवर ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया।
तीन दिवसीय सम्मेलन का संक्षिप्त विवरण देते हुए सम्मेलन के अध्यक्ष प्रो. राज कुमार ने बताया कि सम्मेलन के तकनीकी सत्रों के दौरान 287 प्रतिभागियों द्वारा 202 पेपर्स प्रस्तुत किये गये। सम्मेलन की संयोजक डॉ सोनिया बंसल ने बताया कि सम्मेलन के दौरान विभिन्न नौ सत्रों में 20 से अधिक वक्ताओं ने सम्मेलन के विषय पर अपना व्याख्यान प्रस्तुत किये।