November 24, 2024

10 करोड़ की लागत से सरकारी स्कूलों में लगेंगे ग्रीन बोर्ड

Hisar/Alive News : प्रदेश के सभी सरकारी स्कूलों में अब ब्लैक बोर्ड की जगह जल्द ही ग्रीन बोर्ड नजर आएंगे। इसके लिए शिक्षा विभाग ने प्रदेश स्तर पर 10 करोड़ रुपये का बजट जारी किया है, ताकि यह योजना बड़ी तेजी के साथ शुरू की जा सके। छह मार्च को मुख्यालय में हुई बैठक में अधिकारियों ने यह फैसला लिया है। साथ ही टेंडर देने पर भी अपनी मोहर लगा दी है। ताकि प्रदेश के सभी सरकारी स्कूलों की क्लास रूम में ग्रीन बोर्ड से विद्यार्थी और टीचर को लाभ मिल सकें। कारण यह है कि सरकारी स्कूलों में ब्लैक बोर्ड या तो खराब स्थिति में होते या फिर टूटे-फूटे होते हैं, जिस कारण टीचरों को जहां ब्लैक बोर्ड पर लिखने के कारण काफी मशक्कत करनी पड़ती थी तो विद्यार्थियों को ब्लैक बोर्ड पर लिखे शब्दों को समझने के लिए परेशानी का सामना करना पड़ता था, जिस कारण उनकी आंखों पर भी बुरा प्रभाव पड़ता था।

इस कारण विद्यार्थी टॉपिक को ठीक ढंग से नहीं समझ पाते थे, जिस कारण वे मंथली टेस्ट हो या फिर वार्षिक परीक्षाएं में बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पाते थे। लेकिन अब न तो विद्यार्थियों को पढ़ाई के दौरान ब्लैक बोर्ड को देखने के लिए मशक्कत करनी पड़ेगी और न ही टीचरों को बार-बार ब्लैक बोर्ड पर चॉक घिसाने की जरूरत पड़ेगी। ये हैं प्रदेश के सरकारी स्कूल, मिडल स्कूलों की संख्या हाई स्कूलों की संख्या सीनियर सेकेंडरी स्कूलों की संख्या प्राइमरी स्कूलों की संख्या प्रदेश के सभी सरकारी स्कूलों में ग्रीन बोर्ड लगाए जाएंगे। इसके लिए विभाग की ओर से बजट भी जारी कर दिया गया है।
-राजनारायण कौशिक, डायरेक्टर, प्राइमरी शिक्षा विभाग।

छह मार्च को मिली मंजूरी प्रदेश के सभी सरकारी स्कूलों में ग्रीन बोर्ड लगाने के लिए शिक्षा विभाग ने 10 करोड़ रुपये का बजट जारी किया है। साथ ही टेंडर देने पर भी मोहर लगा दी है। छह मार्च को पंचकूला में हुई बैठक में अधिकारियों ने इस योजना को हरी झंडी दिखा दी है। साथ ही सरकारी स्कूलों में जल्दी ही ब्लैक बोर्ड की जगह ग्रीन बोर्ड लगाने के निर्देश भी जारी कर दिए है। ये हो रही थी परेशानी’ खराब स्थिति में ब्लैक बोर्ड होने से विद्यार्थी सही ढंग से अक्षरों को नहीं पढ़ पा रहे थे।’ टीचरों को भी ब्लैक बोर्ड पर लिखने के लिए मशक्कत करनी पड़ रही थी।’ विद्यार्थियों की आंखों पर पड़ रहा था बुरा असर’ ब्लैक बोर्ड की कमी के कारण मौखिक तौर पर ही पढ़ा पा रहे थे शिक्षक।