Poonam Chauhan/Alive News
फरीदाबाद : शिक्षा विभाग ने बोर्ड परीक्षाओं में बेहतर रिजल्ट लाने के लिए कमर कस ली है। बोर्ड परीक्षाओं को लेकर एंड मौके पर हरकत में आया विभाग अब बोर्ड के नतीजों को सुधारने की कवायत में जुट गया है। 8 मार्च से होने वाली 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं को लेकर विभाग का नया तुगलकी फरमान अध्यापकों के गले की फांस बन गया है। विभाग के अनुसार परीक्षाओं के अभ्यास के लिए बोर्ड परीक्षाओं से ठीक पहले स्कूलों में छात्रों का टेस्ट लिया जाएगा, और टेस्ट की कॉपी को विभाग को भेजा जाएगा।
छात्रों के टेस्टमें कम अंक आने पर अध्यापकों को चार्जशीट कर उनके मासिक वेतन में से कटौती की जाएगी। सोचने की बात तो यह है कि अचानक से हरकत में आया विभाग इससे पहले कहां था, जब अध्यापकों की डयूटी वोटिंग कार्ड बनवाने, मतदान और सरकारी कार्यो में लगा दी जाती थी। आखिर क्यों एंड मौके पर विभाग को रिजल्ट खराब आने की चिंता सता रही है। सेकेंड सेमेस्टर में कभी सर्दियों की छुट्टी तो कभी चुनाव और अब आंदोलन के कारण स्कूलों को बंद रखा गया, जिसका सीधा असर छात्रों की शिक्षा पर पड़ा और अब छात्र छुट्टियों के चलते पेपर की तैयारी में खुद को असहज महसुस कर रहे है।
क्या कहते है शिक्षाविद
रिटायर्ड प्रिंसीपल मनजीत सिंह का कहना है कि आज तक जिन स्कूलों ने जीरो प्रतिशत रिजल्ट दिए उनके खिलाफ शिक्षा विभाग ने क्या कार्यवाही की। शिक्षा विभाग में कागजी कार्यवाही ज्यादा होने लगी है। जिससे टीचर को पढ़ाने के बजाय कागजी कार्यवाहियों में ही व्यस्त रहना पड़ता है जिसके कारण शिक्षा का ग्राफ गिरता जा रहा है, इसके साथ ही विभाग को नकल पर पूरी तरह से रोक लगानी चाहिए।
समयपुर स्कूल के प्रिंसीपल तुलाराम शास्त्री का कहना है कि परीक्षा से पहले टेस्ट लेना अच्छी योजना है, इससे बच्चों को अपनी तैयारी के स्तर का ज्ञान हो जाएगा। उन्होंने कहा कि अध्यापक का कार्य छात्रों को पढ़ाना होता है और उनका भविष्य संवारना होता है। सरकार शिक्षा के प्रति जागरूक है और शिक्षा के ग्राफ को ऊपर उठाने के लिए अच्छे कदम उठा रही है।
रिटायर्ड टीचर राज राठी का कहना है कि पहली बार सरकार शिक्षा को लेकर इतनी एक्टिव हुई है, यदि यह स्टेप पहले ही उठा लिया जाता तो सरकारी स्कूलों के रिजल्ट खराब नहीं होते। शिक्षा के ग्राफ में गिरावट का मैन कारण आरटीई था और टीचर भी कुछ हद तक लापरवाही बरत रहे थे। लेकिन इस बार सरकार की तरफ से अध्यापकों को कुछ समय दिया जाना चाहिए। शिक्षा व्यवस्था में जो सुधार किए जा रहे है वह सकारात्मक है लेकिन सुधार में कुछ समय लगेगा।
सराय स्कूल के प्रिंसीपल मनोज मिश्रा का कहना है कि पिछले सेमेस्टर में जिन स्कूलों के खराब रिजल्ट आए थे, उनको विभाग की तरफ से वोरनिंग दी गई थी, लेकिन अभी हमारे पास टेस्ट लेने का कोई मैसेज विभाग की तरफ से नहीं आया है।