November 25, 2024

कागजी कवायद बना प्राइवेट स्कूलों में गरीब बच्चों का दाखिला

Narnaul/Alive News : हरियाणा शिक्षा नियमावली के रूल 134-ए के तहत मान्यता प्राप्त प्राइवेट स्कूलों में गरीब परिवारों के बच्चों को दाखिला लेने का प्रावधान किया गया है, मगर अब तक यह रूल महज कागजी एवं ढकोसला सिद्ध हुआ है। शिक्षा विभाग एवं प्रशासनिक अधिकारियों के लिए यह एक्ट लागू करा पाना आज भी चुनौती बना हुआ है। 1बता दें कि वर्ष 2003 में तत्कालीन सीएम चौ. ओमप्रकाश चौटाला की सरकार ने नई शिक्षा नियमावली लागू की थी। इसमें एक रूल 134-ए बनाया गया था, जो समाज के आर्थिक रूप से कमजोर एवं बीपीएल परिवारों के विद्यार्थियों को कक्षा पहली से बारहवीं तक प्राइवेट स्कूलों में शिक्षा ग्रहण करने का अधिकारी देता है।

इस एक्ट के निर्माण का उद्देश्य गरीब परिवारों के बच्चों को प्राइवेट स्कूल के अमीर बच्चों के साथ पढ़ाई करने का अवसर प्रदान करना था, जिससे कि गरीब-अमीर एकसाथ पढ़ सकें। लेकिन सरकार द्वारा यह नियम बनाने के तुरंत बाद ही यह एक्ट प्रभाव में नहीं आया। पहली बार से वर्ष 2009 में लागू करने का प्रयास किया गया, मगर पहली बार में ही सरकार इसके प्राइवेट स्कूलों में पूर्ण प्रभाव से लागू कराने में नाकाम रही, क्योंकि निजी स्कूलों ने इस एक्ट का विरोध किया था और जिन बच्चों के दाखिले उनके स्कूलों में हों, उनकी फीस का भुगतान सरकार से करने की मांग की थी। सरकार ने मांग तो नहीं मानी, लेकिन प्राइवेट स्कूल आंदोलन पर उतर आए। प्रदेशभर में इसके खिलाफ प्राइवेट स्कूलों ने हड़ताल, धरना-प्रदर्शन एवं रैलियां की। पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा के कार्यकाल में रोहतक में प्राइवेट स्कूल संचालकों ने रैली कर इस एक्ट के साथ-साथ केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए आरटीई एक्ट का भी जमकर विरोध किया।

जब प्रदेश में सरकार बदल गई, तब भी यह एक्ट चर्चा में रहा और प्राइवेट स्कूलों एवं गरीबों बच्चों के दाखिलों को लेकर शिक्षा विभाग से खींचतान चलती रही। बाद में नए शिक्षा मंत्री प्रो. रामबिलास शर्मा से प्राइवेट स्कूल संचालक मिले और आरटीई व रूल 134-ए में से एक को ही लागू कराने की मांग की। साथ ही दाखिलों की 25 फीसद को कम करके 10 प्रतिशत कराने की मांग की थी। तभी प्राइवेट स्कूल संचालक अपनी मांगों को मनवाने के प्रति आश्वस्त हो गए थे। उसके बाद से ही हर साल हरियाणा शिक्षा नियमावली 134-ए के तहत गरीब परिवारों के बच्चों के दाखिले प्राइवेट स्कूलों में करने के पत्र जारी किए जाते हैं, मगर दाखिलों की स्थिति नगण्य रहती है।