ठेकेदार और अधिकारियों की मिलीभगत सडक़ निर्माण पर भारी
Poonam Chauhan/Alive News : पिछले कई सालों से पल्ला पुल की लड़ाई लड़ रहे लोगों ने क्या नहीं किया कभी धरना प्रदर्शन, कभी अनशन तो कभी सडक़ जाम और ढ़ेरो ज्ञापन। लाखों जतन करने के बाद आज सेहतपुर से सैक्टर-37 को कनेक्ट करने वाला पुल का निर्माण कार्य अपने अन्तिम चरण पर है, लेकिन लोगों का दुर्भाग्य तो देखिए पुल तो बन गया, पर सडक़ का कुछ पता ही नही। सेहतपुर से तिलपत गांव तक जाने वाली 100 फुट चौड़ी रोड़ अभी अधर में ही लटकी हुई है।
सूत्रो से मिली जानकारी के अनुसार सेहतपुर से तिलपत को जाने वाली रोड़ की फाईल 2013 अन्त तक सेंक्शन हो गई थी और रोड़ निर्माण कार्य 2014 में शुरू हो गया था। लेकिन 4 साल बीतने के बावजूद भी सडक़ का निर्माण कार्य पूरा नहीं हो सका है, इसे अधिकारियों की लापरवाही समझी जाए या फिर प्रशासन की अनेदेखी। सोचने की बात तो यह है कि स्मार्ट सिटी में एक रोड़ को बनाने में पूरे 4 साल बीत जाते हैं और काम आज भी जीरो है।
आपको बता दें कि रोड़ के निर्माण कार्य के लिए 54 लाख का बजट मंजूर हुआ था, जिसमें से 31 लाख रूपए रोड़ के निर्माण कार्य में लग चुके है, इसके बावजूद भी काम है कि कहीं नजर ही नही आता। रोड़ के नाम पर यहां केवल मिट्टी और पत्थर ही नजर आते है, 31 लाख की बड़ी धनराशि कहां खर्च हुई ये तो अधिकारी और ठेकेदार ही बता सकते हैं। सडक़ की हालत बद से बदतर है सडक़ में ढ़ाई-ढाई फुट के गड्ढे पड़े हुए है, इतना ही नही बरसात के दिनों में तो सडक़ तालाब में बदल जाती है, ऐसे में नहरपार के लाखों लोगों को फैस्लिटी तो मिली लेकिन वह कितनी कारगर साबित होगी यह देखना अभी बाकी है।
सडक़ निर्माण और नालियों का गंदा पानी निकासी का उचित प्रबंध कराने का मुद्दा नगर निगम सदन की बैठक में वार्ड-23 की पार्षद गीता रक्षवाल ने जोर-शोर से उठाया था। लेकिन देखना यह है कि अब भी अधिकारी इस पर गौर करते है या इसे भी ठण्डे बस्ते मेें मिलीभगत से डाल दिया जाएगा। हम आपको बता दे कि पिछले कई सालों से जाम की समस्या से जुझ रहे पल्ला गांव, शिव कालोनी, चौहान कालोनी, तिलपत गांव, सेहतपुर और सुर्याविहार के लोगों के पास सराय या फिर बदरपुर बॉर्डर आने के लिए मात्र पल्ला पुल ही एक ऑप्शन है।
पल्ला पुल के एकमात्र होने के कारण सुबह और शाम के समय यहां भयानक जाम की समस्या उत्पन्न हो जाती है, जिसके लिए लगातार पिछले कई सालो से स्थानीय लोग दूसरे पूल की मांग सरकार से करते आ रहे थे, अब काफी मस्कत के बाद दूसरा पुल बनकर तैयार है। ऐसे में अगर उसको मैन रोड से कनेक्ट करने वाली सडक़ ही खराब स्थिति में होगी तो जाम की स्थिति ज्यों की त्यों बनी रहेगी।
अगर, इस रोड़ की बात करे तो यहां ना तो नालियों की व्यस्था है ना ही गंदे पानी निकासी का उचित प्रबंध। ऐसे में लोगों के घरो का पानी कहां जाएगा, इसको लेकर पिछले कई सालो से असमंजस्य की स्थिति बनी हुई है। जरा सी बरसात से ही सडक़ सागर में बदल जाती है और यहां से गुजरना मानो किसी चुनौती को पार करने जैसा होता है।
क्या कहना है पूर्व पार्षद का :
मेरे कार्यकाल के दौरान ही सेहतपुर से तिलपत को जाने वाली 100 फुट रोड़ के लिए 2013 के लास्ट में 54 लाख का बजट सेंक्शन हुआ था। सडक़ बनाने का ठेका प्रवीन के पास है। प्रवीन को सडक़ बनवाने के लिए 31 लाख रूपए भुगतान किया जा चुका है। वहीं काम के नाम पर सडक़ पर केवल मिट्टी और पत्थर ही डाले गए हैं। मौजूदा पार्षद गीता रक्षवाल ने इस मुद्दे को सदन की बैठक में उठाया और अपनी बात रखी है।
क्या कहते है स्थानीय लोग :
ध्रुव कांत झा ने बताया कि सडक़ पर ढ़ाई-ढ़ाई फुट के गड्ढे हंै ऊपर से यहां पानी निकासी का कोई इंतजाम नहीं है, लोगों के घरो का पानी भी सडक़ पर ही आता है और बरसात का पानी भी यहीं जमा होता है। जिससे यहां तालाब बना रहता है, इतना ही नहीं लोग यहां अकसर अपने वाहन लेकर गिर जाते है।
वहीं मुलचंद, प्रदीप, पवन और शमशाद खान ने संयुक्त रूप से बताया कि सडक़ के गड्ढे को भरने के लिए यहां के दुकानदार और लोग चंदा लगाकर सडक़ पर मलवा डलवाते है लेकिन कुछ दिन बात वह मलवा भी पानी के साथ बह जाता है और समस्या ज्यों की त्यों बनी रहती है। निगम में कई बार शिकायत की लेकिन कोई सुनवाई नहीं होती है। कोई यहां देखने भी नहीं आता है, हम लोग तो उम्मीद ही छोड़ चुके है कि कभी ये रोड़ बनेगी भी।