November 18, 2024

होली का बदलता स्वरुप

‘ हिन्द देश के निवासी सभी जन एक हैं, रंग-रूप वेश-भाषा चाहे अनेक हैं.’

इन पंक्तियों को चरितार्थ करता हमारा देश विशाल अपने आँचल में अनेक धर्म और उनसे सम्बंधित त्योहारों को मनाने वाले लोगों को छिपाए हुए है. बढती जनसँख्या और उससे सम्बन्धित आवश्यकताओं की पूर्ती ने इन सभी लोगों को अपने राज्य विशेष से पलायन पर मजबूर कर दिया. परिणाम स्वरुप अब सभी जगह हर राज्य हर धर्म के लोग रहने लगे और एक दूसरे की धार्मिक भावनाओं को देखने और जानने का उन्हें अवसर मिलने लगा. सभी मिल जूल कर आपस में सभी त्यौहार मनाने लगे हैं. जिसने अनेकता में एकता को और अधिक बढ़ावा दिया है. इस तरह का एक त्यौहार होली जो पहले हिन्दुओं का विशेषतः मुख्य त्यौहार माना जाता था अब सभी धर्मों के लोगों द्वारा हर्ष और उल्लास से मनाया जाने लगा है. इस दिन सभी लोग आपसी बैर भाव को भूल कर एक दुसरे को प्रेम से गुलाल लगाते हैं और गले लग कर एक हो जाते हैं. परन्तु विगत कुछ वर्षों में इसका यह सुंदर स्वरुप धूमिल होता जा रहा है.

कुछ असामाजिक व शरारती तत्व अपने स्वार्थ की सिद्धि के लिए इस त्यौहार को कलंकित कर रहे हैं. रंग में खतरनाक रसायन मिला कर लगाना, नशा करना जहाँ दूसरों की जिन्दगी को खतरे में डाल सकता है, वहीँ वे स्वयं भी इसके शिकार हो सकते हैं. ऐसा ख्याल उन्हें शायद नहीं आता. ‘जल ही जीवन है’ इसकी परवाह किये बिना अनावश्यक रूप से इसकी भी बहुत बर्बादी इस त्यौहार पर की जाती है. इसलिए न चाहते हुए भी जागरूक जन इस त्यौहार को मनाने से कतराने लगे हैं. कुछ एक शरारती तत्वों के कारण हमारे इस त्यौहार की आस्था अब धूमिल पड़ने लगी है. जिस कारण भग्त प्रह्लाद के भगवत प्रेम को जन जन तक पहुँचाने वाला ये त्योहर अब अपना उल्लास खोता जा रहा है. हमें यह कभी नहीं भूलना चाहिए कि हमारी आस्था के प्रतीक ये त्यौहार ही हमें एक दुसरे के निकट लाते हैं और विशाल भारत को एक बनाते हैं. इसी लिए हमें इन त्योहारों के वास्तविक स्वरुप को बनाये रखने की हर संभव कोशिश करनी चाहिए.
‘गुलाल की खुशबू गुजिया की मिठास,
होली मे हो वही हर्ष और उल्लास,
आओ मिल कर करें यह प्रयास’.

समय के साथ परिवर्तन भी जरूरी है और होना भी चाहिए, पर अवश्य ही ये परिवर्तन हमें त्योहारों के और निकट ले जाये. क्यों न कुछ ऐसे परिवर्तन लाने की कोशिश की जाये कि हमारे त्यौहार भारत तक ही सीमित न रहें अपितु विश्व भर में हर्ष और उल्लास के साथ मनाये जाए. आओ मिल कर एक कोशिश करें कि जन जन के दिल में फिर से वही उमंग, वही उत्साह और वही इन्तजार हो. क्यों न इस बार फिर से एक नयी, साफ सुथरी होली मनाएं, जो हमारी आपसी दूरियों को फिर से निकटता में बदल दे.

लेखिका :- मीनाक्षी मिथलेश कुमार,