फरीदाबाद : भारत में डेनमार्क के राजदूत पीटर टाकसो जेनसेन ने आज वाईएमसीए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, फरीदाबाद में विद्यार्थियों के लिए कोल्ड चेन प्रौद्योगिकी पर आधारित एक उत्कृष्टता केन्द्र का उद्घाटन किया। ‘जलवायु एवं ऊर्जा’ थीम पर आधारित इस उत्कृष्टता केन्द्र को लगभग 20 लाख रूपये की लागत से डेनमार्क की कंपनी डैनफोस इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड, चेन्नई के सहयोग से स्थापित किया गया है।
कुलपति डॉ संदीप ग्रोवर तथा कुल सचिव डॉ तिलक राज ने राजदूत पीटर टाकसो जेनसेन का गर्मजोशी से स्वागत किया गया। इस अवसर पर मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के अध्यक्ष डॉ एम एल अग्रवाल, डैनफोस इंडिया के प्रेजीडेंट रविचंद्रन पुरूषोत्तमन के अलावा उत्कृष्टता केन्द्र की स्थापना में संयोजक की भूमिका निभा रहे डैनफोस से मधुर सहगल तथा वाईएमसीए के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ अरविंद गुप्ता भी उपस्थित थे। विश्वविद्यालय में अपने दौरे के दौरान पीटर टाकसो जेनसेन मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग का दौरा किया तथा विद्यार्थियों को दी जा रही सुविधाओं का जायजा लिया। उन्होंने विभिन्न प्रयोगशालाओं का भी अवलोकन किया।
इस अवसर पर उन्होंने बच्चों द्वारा विकसित प्रयोगों को भी देखा तथा जानकारी ली। उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए डॉ.एमएल अग्रवाल ने पीटर टाकसो जेनसेन को विश्वविद्यालय द्वारा चलाये जा रहे कार्यक्रमों एवं विभिन्न गतिविधियों की जानकारी की। डॉ ग्रोवर ने बताया कि विश्वविद्यालय में उत्कृष्टता केन्द्र की स्थापना को लेकर डैनफोस कंपनी के साथ विश्वविद्यालय ने दो वर्ष पहले एक समझौते पर हस्ताक्षर किये थे, जिसे आज मूर्त रूप दिया गया है। उन्होंने बताया कि इस उत्कृष्टता केन्द्र को स्थापित करने का उद्देश्य विद्यार्थियों को ऊर्जा खपत क्षमता पर आधारित नवीनतम तकनीकों की जानकारी एवं अनुभव प्रदान करना था।
समारोह को संबोधित करते हुए डेनमार्क राजदूत पीटर टाकसो जेनसेन ने कहा कि भारत में कौशल एवं क्षमता निर्माण समय की मांग है। ऊर्जा की खपत के लिहाज से एयर कंडीशनिंग एवं रेफ्रीजरेशन का सकल घरेलू उत्पाद में बड़ा योगदान है। इसलिए हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि सही तकनीक का इस्तेमाल हो और इस तकनीक को चलाने वाले हाथ भी सक्षम हो ताकि पर्यावरण एवं उत्पादन दोनों को ध्यान में रखा जा सके। उन्होंने कहा कि यह उत्कृष्टता केन्द्र वाईएमसीए विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों को शैक्षणिक कार्यप्रणाली के भीतर अपने तकनीकी ज्ञान को बढ़ाने तथा भविष्य की प्रौद्योगिकी को बेहतर ढंग से समझने का अवसर प्रदान करेगा। समारोह के अंत में कुल सचिव डॉ तिलक राज ने धन्यवाद प्रस्ताव रखा तथा डॉ एम एल अग्रवाल ने डेनमार्क राजदूत को स्मृति चिन्ह भेंट किया।