May 2, 2024

संसद हमले की आज 15वीं बरसी, PM मोदी सहित सभी सांसदों ने शहीदों को दी श्रद्धांजलि

New Delhi/Alive News : 13 दिसंबर 2001 की तारीख को कोई नहीं भुला सकते क्योंकि इस दिन भारतीय लोकतंत्र थर्रा उठा था। संसद चल रही थी और किसी को अंदेशा तक नहीं था कि कोई संसद पर हमला कर सकता है। आज संसद पर हुए हमले की 15वीं बरसी है। आज संसद में शहीद हुए जवानों को श्रद्धांजलि दी जाएगी। 13 दिसंबर 2001 को गोलियों की आवाज, हाथों में एके-47 लेकर संसद परिसर में दौड़ते आतंकी, बदहवास सुरक्षाकर्मी, इधर-उधर भागते लोग, कुछ ऐसा ही नजारा था संसद भवन का। जो हो रहा था वो उस पर यकीन करना मुश्किल था। लेकिन ये भारतीय लोकतंत्र की बदकिस्मती थी कि हर तस्वीर सच थी। उस वक्त, लोकसभा और राज्यसभा दोनों ही ताबूत घोटाले पर मचे बवाल के चलते स्थगित हो चुकी थीं।

वक्त था 11 बजकर 20 मिनट। इसके बाद तमाम सांसद संसद भवन से बाहर निकल गए। कुछ सेंट्रल हॉल में बातचीत में मशगूल हो गए। कुछ लाइब्रेरी की तरफ बढ़ गए, कुल मिलाकर सियासी तनाव से अलग माहौल खुशनुमा ही था। इसी गेट से राज्यसभा के भीतर के लिए रास्ता जाता है। कार इस दरवाजे से उधर की ओर आगे बढ़ गई जहां उप-राष्ट्रपति की कारों का काफिला खड़ा था। जब गाड़ी खड़ी थी तभी आतंकियों की गाड़ी ने उनकी कार में टक्कर मारी। इसके बाद विजेंदर सिंह ने गाड़ी में बैठे आतंकी का कॉलर पकड़ा और कहा कि दिखाई नहीं दे रहा, तुमने उप-राष्ट्रपति की गाड़ी को टक्कर मार दी। सुरक्षाकर्मियों के हल्ला मचाने के बावजूद कार में बैठे आतंकी रुकने का नाम नहीं ले रहे थे।

जीतराम समेत बाकी लोग उस पर चिल्लाए कि तुम देखकर गाड़ी क्यों नहीं चला रहे हो। इस पर गाड़ी में बैठे ड्राइवर ने उसे धमकी दी कि पीछे हट जाओ वर्ना तुम्हें जान से मार देंगे। अब जीतराम को यकीन हो गया कि कार में बैठे लोगों ने भले सेना की वर्दी पहन रखी है लेकिन वे सेना के जवान में नहीं हैं। उसने तुरंत अपनी रिवॉल्वर निकाल ली। जीतराम को रिवॉल्वर निकालता देख संसद के वॉच एंड वार्ड स्टाफ का जेपी यादव गेट नंबर 11 की तरफ भागा। एक ऐसे काम के लिए जिसके शुक्रगुजार हमारे सांसद आज भी हैं। कार चला रहे आतंकी ने अब कार गेट नंबर 9 की तरफ मोड़ दी। इसी गेट का इस्तेमाल प्रधानमंत्री राज्यसभा में जाने के लिए करते हैं।

कार चंद मीटर बढ़ी लेकिन आतंकी उस पर काबू नहीं रख पाए, कार सड़क किनारे लगे पत्थरों से टकरा कर थम गई। तब तक जीतराम भी दौड़ता हुआ कार तक पहुंच गया। उसके हाथ में रिवॉल्वर देख पांचों आतंकी तेजी से बाहर निकल आए। उतरते ही उन्होंने कार के बाहर तार बिछाना और उससे विस्फोटकों को जो़ड़ना शुरू कर दिया। आतंकियों का सामना करते हुए दिल्ली पुलिस के पांच जवान, सीआरपीएफ की एक महिला कांस्टेबल और संसद के दो गार्ड शहीद हुए और 16 जवान इस मुठभेड़ में घायल हुए। संसद भवन पर में कोई आंच न आए, इसलिए उन्होंने अपनी जान की बाजी लगा दी और सभी आतंकियों को मार गिराया।

मास्टरमाइंड की गिरफ्तारी और फांसी

हमले की साजिश रचने वाले मुख्य आरोपी अफजल गुरु को दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार किया। संसद पर हमले की साजिश रचने के आरोप में सुप्रीम कोर्ट ने 4 अगस्त, 2005 को उसे फांसी की सजा सुनाई थी। कोर्ट ने आदेश दिया था कि 20 अक्तूबर, 2006 को अफजल को फांसी पर लटका दिया जाए लेकिन 3 अक्तूबर, 2006 को अफजल की पत्नी तब्बसुम ने राष्ट्रपति के पास दया याचिका दाखिल कर दी। राष्ट्रपति ने इस दया याचिका पर गृह मंत्रालय से राय मांगी।

मंत्रालय ने इसे दिल्ली सरकार को भेज दिया, जहां दिल्ली सरकार ने इसे खारिज करके गृह मंत्रालय को वापस भेजा। गृह मंत्रालय ने भी दया याचिका पर फैसला लेने में समय लगाया, लेकिन मंत्रालय ने अपनी फाइल राष्ट्रपति के पास भेज दी। इसके बाद 3 फरवरी, 2013 को राष्ट्रपति ने अफजल की दया याचिका खारिज कर दी। ‌फिर कैबिनेट समिति की बैठक में अफजल को फांसी दिए जाने की अंतिम तैयारी पर मुहर लगाई गई और 9 फरवरी, 2013 को अफजल गुरु को दिल्ली की तिहा‌ड़ जेल में फांसी पर लटका दिया गया।