Jaipur/Alive News : 2019 से जून 2024 तक कैंसर, खून, हार्ट और एंटीबायोटिक से जुड़ी दवाओं के 795 सैंपल फेल हुए हैं। चिंताजनक स्थिति यह है कि जब तक ड्रग विभाग सैंपल लेता है, जांच रिपोर्ट आती है, तब तक लाखों लोग दवाएं खा चुके होते हैं।
इधर, विभाग ने कार्रवाई के नाम पर सिर्फ 12 फीसदी केस ही फाइल किए हैं। इनमें भी नाममात्र के लाइसेंस निलंबित किए गए। नियमों में सख्ती नहीं होने और अधिकारियों की लापरवाही से आरएमएससीएल के जरिए सप्लाई होने वाली दवाओं के सैंपल फेल हुए। सच सामने लाने के लिए पांच साल के आंकड़े खंगाले। सबसे अधिक दवाएं बद्दी में बनी हैं। दिल-खून से जुड़ी दवाओं के सैंपल सबसे अधिक फेल हुए हैं। पेन किलर, एंटीबायोटिक, स्टेराइड, एंटी एमेटिक, हॉर्मोनल, कैंसर, लंग्स सहित दवाओं के सैंपल भी खरे नहीं उतरे।
महंगी दवाइयों के सैंपल नहीं लिए जाते
आरएमएससीएल में सप्लाई महंगी दवाइयों के सैंपल नहीं के बराबर लिए जाते हैं। कारण…कैंसर जैसी बीमारियों के इंजेक्शन और टेबलेट एक से तीन लाख रुपए तक के आते हैं। अब एक दवा का भी सैंपल लेना होता है तो पूरा पैसा जमा कराना होता है।
आरएमएससीएल सभी दवाओं की टेस्टिंग कराता है। पास होने पर ही अस्पतालों में भेजी जाती हैं। औषधि भंडारों और अस्पतालों से नमूने औषधि नियंत्रण अधिकारी लेते हैं। इनकी रिपोर्ट आरएमएससीएल को भी आती है। रिपोर्ट में औषधि अमानक है तो उसके उपयोग को रोक दिया जाता है और स्टॉक रिजेक्ट कर दिया जाता है। फर्म के विरुद्ध निविदा शर्तों के अनुरूप डिबारिंग और वित्तीय कार्यवाही की जाती है। औषधि नियंत्रण विभाग कानूनी कार्रवाई करता है।