December 25, 2024

वोटरों ने कांग्रेस पर पहली लोकसभा में इंदिरा गांधी के आपातकाल का गुस्सा निकाला

Faridabad/Alive News: 25 जून 1975 एक ऐसा दिन जब भारत में आपातकाल लागू किया गया, जो 21 मार्च 1977 तक चला। देश में 21 महीने तक चले आपातकाल का गुस्सा फरीदाबादवासियों ने जाहिर करते हुए कांग्रेस पार्टी को पहले ही लोकसभा चुनाव में हार का मुंह देखना पड़ा। कांग्रेस प्रत्याशी तयैब हुसैन को शहर से केवल 58079 (13.91 प्रतिशत) वोट मिले थे। लोगों के मुताबिक, उस दौरान सरकार के खिलाफ बोलने वालों को जेल में बंद कर दिया था।

एक नवंबर 1966 को हरियाणा को अलग राज्य बनाया गया और उसके बाद 1967 में हुए चौथे लोकसभा चुनाव के दौरान हरियाणा की लोकसभा सीटों के लिए मतदान किया गया। उस समय हरियाणा में नौ लोकसभा सीटें थीं। इनमें अंबाला, करनाल, कैथल, रोहतक, झज्जर, गुड़गांव, महेंद्रगढ़, हिसार और सिरसा शामिल थे। फरीदाबाद के लिए पहले और देश के छठे लोकसभा चुनावों के दौरान फरीदाबाद सीट से सात उम्मीदवारों ने लोकसभा चुनाव लड़ा था। पहले लोकसभा चुनाव में इस सीट पर 70.81 प्रतिशत वोटिंग हुई। भारतीय लोक पार्टी के धर्मवीर वशिष्ठ को 44.30 प्रतिशत, निर्दलीय के खुर्शीद अहमद को 37.75, कांग्रेस पार्टी के तैयब हुसैन को 13.91 प्रतिशत, निर्दलीय टी. बी कामले भोला कामले को 1.84 प्रतिशत, निर्दलीय करण सिंह को 1.70 प्रतिशत, सीपीएम पार्टी के इस्लाम अलियस इस्लामुद्दीन को 0.27 प्रतिशत और निर्दलीय वीर सिंह डागर को 0.23 प्रतिशत वोट मिले। भारतीय लोक पार्टी के उम्मीदवार धर्मवीर वशिष्ठ इस चुनाव में जीत हासिल कर फरीदाबाद से पहले सांसद बने थे। उन्होंने एक लाख 84 हजार 948 वोट हासिल किये थे।

अचानक मिली थी सूचना
उस दौरान के मतदाताओं और लोगों की मानें तो इंदिरा गांधी ने अपने राजनीतिक विरोधियों को जेल में बंद करवा दिया था। देश के लोगों ने रेडियो पर देश में आपातकाल लगने की घोषणा सुनीं। सालों बाद भले ही देश के लोकतंत्र की गरिमामयी तस्वीर दुनिया को दिखाई दी। तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कहने पर संविधान के अनुच्छेद 352 के तहत देश में आपातकाल लागू कर दिया, इसका असर कांग्रेस को चुनाव में नजर आया। लोगों ने वोट की चोट से अपना गुस्सा जाहिर किया।

क्या कहा फरीदाबाद की पहली लोकसभा को लेकर लोगों ने
उस दौरान मैं 23 वर्ष का था। रेडियो पर अचानक आपातकाल की सूचना से लोग स्तब्ध हो गए। पहली बार इस तरह का कुछ हुआ था। राजनीतिक पार्टियों ने विरोध शुरू कर दिया। डर के कारण उन दिनों आम लोगों का घर से बाहर निकलना बंद कर दिया गया था। सरकार के खिलाफ बोलने वालों को महीनों जेल में बंद किया गया था। यह भारतीय इतिहास में हमेशा काला अध्याय के रूप में जाना जा रहा है।
-डॉ एस पी सिंह, स्थानीय फरीदाबाद निवासी।

आपातकाल के दौरान मेरी लगभग 20 साल उम्र होगी। उस समय सरकार के खिलाफ गीत, फिल्म कुछ भी नहीं बना सकते थे। खबरें सेंसर बोर्ड ने बंद कर दी थीं। राजनीतिक दलों से जुड़े लोगों ने भी घरों से निकलना बंद कर दिया था। अधिकारी भी समय पर कार्यालय पहुंचने लगे थे। इंदिरा गांधी की मनमानी का असर ये हुआ कि छठी लोकसभा और हरियाणा की पहली लोकसभा चुनाव में सरकार धराशायी हो गई।
-रविंद्र चावला, सामाजिक कार्यकर्ता फरीदाबाद।