December 28, 2024

बच्चे के व्यवहार में आए ये बदलाव तो जानिए आपको क्या करना है

Health/Alive News: बढ़ती तकनीक, बढ़ती भाग-दौड़ और बदलते माहौल के चलते अब छोटे-छोटे बच्चों के हाथ में उनके भविष्य के साथ-साथ डिप्रेशन भी दिखाई देने लगा है। युवाओं के साथ-साथ आजकल छोटे-छोटे बच्चों में भी डिप्रेशन के मामलों को तेजी से बढ़ते हुए देखा जा सकता है। छोटे मासूम बच्चों में डिप्रेशन और एंग्जाइटी के मामले बढ़ना किसी भी परिवार व समाज के लिए बेहद चिंतनीय बात है।

बच्चों की हंसती, मुस्कुराती, नटखट और शैतानी करते हुए एक प्यारी सी छवि हम सबके मन में हमेशा रहती है क्योंकि अक्सर बच्चों का परिचय ही इन खूबियों से दिया जाता है। लेकिन अगर कोई बच्चा आपको इन खूबियों के बिना दिखता है तो साफ़-तौर पर ये एक समस्यात्मक पहलू हो सकता है।अगर आपके बच्चे के व्यवहार में अचानक बदलाव आ गया है तो कैसे आप अच्छी पेरेंटिंग करके उन्हें इस मुश्किल से निकाल सकतीं हैं।

अगर आपका बच्चा कई सप्ताह और महीने भर तक उदास बना रहता है और उदासी के साथ-साथ अगर आपका बच्चा सबके साथ रहने के बजाय अकेले ही रहना पसंद करता है, छोटी-छोटी बातों पर गुस्साने लगता है, चिड़चिड़ाने लगता है तो आपको अपने बच्चे पर ध्यान देने की ख़ास जरूरत है।

अगर आपका बच्चा खुद से बात करने लगता है, अकेले बैठ कर खुद से सवाल कर के खुद ही जवाब देने लगे और साथ ही बैठे-बैठे किसी भी चीज़ पर गुस्सा निकालने लगे, चीज़ें फेंकने लगे तो समझ जाइये कि ये डिप्रेशन के ही लक्षण है।

अगर आपका बच्चा लंबे समय तक खाए-पीये नहीं और साथ ही उसे नींद भी कम आने लगे तो समझ जाइये कि ये भी डिप्रेशन के ही लक्षण है और अब आपको अपने बच्चे की ख़ास देखभाल करने की भी काफी जरूरत है।

बच्चे में नजर आएं डिप्रेशन के लक्षण तो जानिए आपको क्या करना है

वैसे तो बच्चों का कनेक्शन अपने माता-पिता दोनों के साथ ही बहुत अच्छा होता है लेकिन बच्चों का मां के साथ रिश्ता बेहद ही ममता भरा होता है। इसलिए अगर आप चाहेंगी और अच्छी पेरेंटिंग टिप्स अपनाएंगी तो आप अपने बच्चे को जल्द से जल्द ही डिप्रेशन से निकाल पाएंगी।

बच्चे को डिप्रेशन की स्थिति से निकालने के लिए आप उससे जितनी ज्यादा हो सके बातें करे। फिर चाहे वो बच्चे के स्कूल की बात हो, उसके फेवरेट खाने-पीने की बात हो या उसकी होने वाली परेशानियों की। अपने बच्चे से हर बात करें, ऐसा करने से उसे मोटीवेटड फील होगा और वो अपनी स्थिति से उबरने की कोशिश करेगा। आज-कल बच्चों के डिप्रेशन में जाने का सबसे बड़ा कारण मोबाइल फोन भी बन गए है। आजकल जब से घर, पैरेंट्स का ऑफिस बना है तब से वे बच्चों पर उतना ध्यान नहीं दे पाते और बच्चे हर समय फ़ोन में लगे रहते है और साथ ही कई तरह के हिंसक गेम्स भी खेलते रहते है, जो उन्हें बेहद ही डिप्रेशन में डाल सकता है।

अक्सर ऐसा भी होता है कि बच्चे पेरेंट्स के बिज़ी शेड्यूल के कारण खुद को अकेला महसूस करने लगते हैं और उनमे अपनत्व का भाव खत्म हो जाता है। इसलिए बच्चों को प्रॉपर टाइम दें और जब भी उनसे बात करें तो उन्हें अपने जीवन की पुरानी बातें भी बताएं, इससे वे खुद को आपसे काफी कनेक्टेड फील करेंगे।