November 17, 2024

पुरुषों में लो स्पर्म काउंट की वजह से बढ़ रहा है कैंसर का खतरा, पढ़िए खबर

Health/Alive News: हमारे खानपान और लाइफस्टाइल का हमारी सेहत पर गहरा असर पड़ता है। साथ ही हमारी डाइट का असर हमारी फर्टिलिटी पर भी देखने को मिलता है। खासकर पुरुषों को अक्सर फर्टिलिटी से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। हाल ही में इसे लेकर एक ताजा स्टडी भी सामने आई है। इस अध्य्यन में यह पता चला कि कम या बिल्कुल भी स्पर्म पैदा करने वाले पुरुषों के परिवार में कैंसर होने का खतरा ज्यादा होता है।

स्टडी के मुताबिक बिना स्पर्म (एजोस्पर्मिक) वाले पुरुषों के परिवारों में, हड्डी और जोड़ों के कैंसर विकसित होने का खतरा 156 प्रतिशत बढ़ जाता है, जबकि लिम्फ, सॉफ्ट टिश्यू और थायरॉयड कैंसर विकसित होने का जोखिम 60, 56 और 54 प्रतिशत बढ़ जाता है। इस शोध में शामिल रिसर्चर्स के मुताबिक खराब फर्टिलिटी वाले पुरुषों के परिवारों में कैंसर के जोखिम के कई पैटर्न पाए गए हैं।

यूटा यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं द्वारा हाल ही में किए गए अध्ययन में यह पता चला कि जिन पुरुषों के सीमन में प्रति मिलीलीटर 1.5 मिलियन से कम लो स्पर्म काउंट था, उनमें हड्डी और जोड़ों के कैंसर होने का खतरा 143 प्रतिशत और टेस्टीकुलर कैंसर का खतरा 134 प्रतिशत था। पुरुषों में टेस्टीकुलर कैंसर सबसे आम है और लो स्पर्म काउंट वाले पुरुषों में इस प्रकार के कैंसर के विकसित होने का खतरा ज्यादा पाया गया है। इसके अलावा, लो स्पर्म काउंट और अन्य प्रकार के कैंसर जैसे प्रोस्टेट कैंसर के बीच एक संभावित संबंध पाया गया है।

वहीं, शोध के बारे में बात करते हुए डॉक्टर ने कहा कि यह ध्यान देने वाली बात है कि स्पर्म की कम संख्या सीधे तौर पर कैंसर का कारण नहीं बनती है। इसके बजाय, इसे एक संकेतक के रूप में देखा जा सकता है, जो कैंसर के खतरे को बढ़ा सकता है। ओलिगोस्पर्मिया का इलाज हार्मोनल थेरेपी, सर्जिकल इंटरवेन्शन जैसे वैरिकोसिले रिपेयर, स्वस्थ जीवन शैली की आदतों को अपनाकर किया जा सकता है। ओलिगोजोस्पर्मिया वाले असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नीक और इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) जैसी रिप्रोडक्टिव तकनीकों का उपयोग करके माता-पिता बन सकते हैं।