New Delhi/Alive News: दिल्ली सरकार ने प्रापर्टी खरीदने को लेकर एक नया नियम लागू किया है । इस नियम के जरिए आप किसी भी विवादित या अधिगृहित प्रापर्टी को आनलाॅइन पता लगा सकते हैं । राजस्व विभाग ने अब तक 21769 विवादित, 6548 अधिगृहित और 511 ग्राम सभा प्रापर्टीयों का विवरण कुछ महीने पहले ही शुरु किए गए पॅार्टल पर दर्ज किया था।
अब किसी भी प्रॉपर्टी को खरीदने से पहले लोग उसके बारे में ऑनलाइन जानकारी ले सकेंगे। राजस्व विभाग के अनुसार विभिन्न भूमि और प्रॉपर्टियों से संबंधित डिजिटल रिकॉर्ड संकलित कर पोर्टल पर उपलब्ध कराया जा रहा है। इनमें ग्रामसभा, शत्रु, अधिगृहीत, अधिग्रहण के लिए चिह्नित और बुक की गई प्रॉपर्टियों आदि को केंद्रीयकृत सर्वर पर लाया गया है।राजस्व विभाग के dispute.delhigovt.nic.in पोर्टल पर पूरी जानकारी के साथ डेटा एकीकृत किया गया है। किसी भी प्रॉपर्टी की खरीद से पहले लोग अब पोर्टल पर आकर जांच कर सकते हैं कि भूमि या इमारत विवादित तो नहीं है।
यह भी पता लगा सकते हैं कि प्रॉपर्टी को एमसीडी ने ध्वस्त करने के लिए चिह्नित किया या किसी अन्य निषिद्ध श्रेणी में तो नहीं आती है। राजस्व विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि पोर्टल पर पता, राजस्व रिकॉर्ड के अनुसार मालिक का नाम, विवाद की तारीख और इसकी प्रकृति उपलब्ध होगी। किसी बैंक के पास गिरवी या धोखाधड़ी के मामले में शामिल होने की जानकारी भी दी गई है।प्रॉपर्टियों को सब-रजिस्ट्रार कार्यालयों के अनुसार वर्गीकृत किया गया है। अधिकारियों ने कहा कि निष्क्रांत, शत्रु और बुक की गई प्रॉपर्टियों का डेटा अभी भी अपडेट किया जा रहा है। अधिकारी ने कहा कि 22 सब-रजिस्ट्रार कार्यालयों को पहले ही केंद्रीय सर्वर की पहुंच दे दी गई है। जहां सभी प्रतिबंधित प्रॉपर्टियों का विवरण संग्रहीत किया जा रहा है।
इससे न केवल सब-रजिस्ट्रार को यह निर्धारित करने में मदद मिलेगी कि जमीन या प्रॉपर्टी का विक्रय, जो रजिस्ट्री के लिए उनके पास आई है, साफ-सुथरी है और स्वामित्व की उचित श्रृंखला है, बल्कि खरीदार को इधर-उधर दौड़ लगाने की जरूरत भी नहीं पड़ेगी।पोर्टल dispute.delhigovt.nic.in को वेब ब्राउजर में खोलने के बाद अपने क्षेत्र को चुनकर उस पर क्लिक करें। इसके बाद इलाके या प्रॉपर्टी संख्या दर्ज करें, जिसके बाद यह सुनिश्चित होगा कि प्रॉपर्टी या भूमि निषिद्ध सूची में तो नहीं है।इसी प्रकार अर्जित प्रॉपर्टियों की सूची में लाभार्थी एजेंसी का विवरण, अधिग्रहण का वर्ष और उद्देश्य, खसरा नंबर और गांव का उल्लेख किया गया है।