November 24, 2024

पाषाण काल की मुद्रा पर्यटकों कर रही आश्चर्य चकित

Faridabad/Alive News: स्टॉल नंबर-709 पर दिनभर दर्शकों की भीड लगी रहती है। पर्यटक जहां आकर मास्टर बिजेंद्र सिंह की स्टॉल पर फूटी कौड़ी, दमडी, धैला, पाई, पैसा, आना और रूपया पाषाण काल से लेकर चौल साम्राज्य, मौर्य काल, मुगल कालीन दिल्ली सल्तनत और ब्रिटिश काल के एक, दो, तीन, पांच, दस, बीस, पच्चीस और पचास पैसे के सिक्के, एक, दो, पांच, दस, बीस, पचास, सौ, दौ सौ, पांच सौ, एक हजार और दो हजार रुपए के नए और पुराने नोटों को निहारते नजर आ रहे हैं।

हरियाणा के हिसार निवासी मास्टर बिजेन्द्र सिंह का कहना हैं कि हरियाणा आजीविका मिशन से जुड़े स्वयं सहायता समूह के लोगों को नाबार्ड योजना के तहत इन्हें इक्कठा कर रख रखाव करने के लिए निशुल्क में दो सप्ताह का प्रशिक्षण दिया जाता है। वहीं उन्हें 50 रूपए प्रति दिन भत्ता और ठहरने, खाने-पीने तथा परिवहन सुविधा भी दी जाती है। इसके अलावा एकत्र की गई पुरानी और नई मुद्रा को बेचने के लिए बाजार की व्यवस्था और ऑनलाइन प्लेटफार्म प्रणाली के बेहतर क्रियान्वयन के लिए खरीद भी करवाई जा रही है।