New Delhi/Alive News: बिना डॉक्टर के सलाह लिए लोग अधिक मात्रा में एंटीबायोटिक दवाइयों का सेवन कर रहे हैं। जिसका स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। आलम यह है कि कई एंटीबायोटिक दवाओं ने तो मरीजों की बीमारी पर असर करना ही बंद कर दिया है। एक ऐसे ही दवाई है एजीथ्रोमाईसीन। जिसने मरीजों के शरीर पर असर करना बंद कर दिया है।
दरअसल, चिकित्सकों से मिली जानकारी के अनुसार बिना चिकित्सक की सलाह लोग मन मुताबिक सर्दी खांसी जुकाम में अपनी मर्जी से एंटीबायोटिक दवाइयों का सेवन करते हैं। जिसका स्वास्थ्य पर बहुत बुरा असर पड़ता है और उसी का नतीजा है कि वर्तमान समय में एजीथ्रोमाईसीन नाम की एंटीबायोटिक दवाई ने लोगों की शरीर पर असर करना बंद कर दिया है।
बता देगी अस्पतालों के आउटडोर में आने वाले हल्के खांसी जुकाम के मरीजों के लिए एजीथ्रोमाईसीन दवाई रामबाण मानी जाती थी। एसॉल्ट के विभिन्न ब्रांड हजारों में आते हैं। दबी लक्षणों के आधार पर मरीजों को सर्वप्रथम इसी सॉल्ट की दवा लिखते हैं। फिजीशियन का कहना है कि आउटडोर में आने वाले 60 परसेंट मरीजों में यह दवाई काम तक नहीं कर रही है। एक स्टडी के मुताबिक देश में वर्ष 2020 में जून से सितंबर के बीच यह एंटीबायोटिक कि 4 करोड से अधिक दोष की खपत हुई थी।
कई एंटीबायोटिक दवाइयों को तो ड्रग रेगुलेटर से मंसूरी तक नहीं मिली थी। हेल्थ सेक्टर के जनरल लाइसेंस के दक्षिण पूर्व एशिया में छपी रिपोर्ट में इसका खुलासा किया था। रिसर्च ने भारत के निजी अस्पतालों में कोरोनावायरस के एंटी बायोटिक के प्रयोग पर खोजबीन की।