New Delhi/ Alive News: वैश्विक महामारी कोरोना के दौरान देशभर में करीब 43 फीसदी छात्रों के पास 19 महीने तक घर बैठे पढ़ाई का कोई साधन नहीं था। लॉकडाउन और शिक्षण संस्थानों के बंद होने के कारण यह बच्चे शिक्षा से दूर रहे। यह खुलासा आउट ऑफ स्कूल चिल्ड्रन (ओओएससी) की एक मैपिंग अध्ययन में हुआ है।
थिंक टैंक विधि सेंटर फॉर लीगल पॉलिसी द्वारा तैयार रिपोर्ट पिछले दिनों जारी की गई है। रिपोर्ट अप्रैल 2020 और मई 2022 के बीच प्रकाशित अन्य अध्ययनों को ध्यान में रखते हुए यूनिफाइड डिस्ट्रक्टि इंफॉर्मेशन सिस्टम ऑफ एजुकेशन (यूडीआईएससी ) और एनुअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट (एएसईआर) डेटा सहित 21 प्राथमिक अध्ययन स्रोतों का उपयोग करके तैयार की गई है।
वहीं, 19 महीने तक 43 फीसदी बच्चों के पास किसी भी स्कूली शिक्षा की पहुंच नहीं थी। क्योंकि ये बच्चे ऐसे स्कूल के थे, जहां डिजिटल शिक्षा और मोबाइल आदि की व्यवस्था नहीं थी। महामारी के कारण स्कूल बंद होने से, पहले से खराब स्थिति वाले बच्चों की स्थिति और अधिक खराब हुई है।
वहीं, इस दौरान स्कूलों में ड्रॉप-आउट 1.3 फीसदी से 43.5 फीसदी तक थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि महामारी के कारण छोटे बच्चों में गैर-नामांकन (ड्रॉप-आउट) की बढ़ती घटनाएं, प्रवासी बच्चों के सामने आने वाली चुनौतियों में बढ़ोतरी और कम फीस वाले निजी स्कूलों में नामांकित बच्चों की भर्ती में वृद्धि हुई है। इन बिंदुओं पर शिक्षा विभाग को ध्यान देने की जरूरत है। जिस तरह महामारी के प्रभावों को विभिन्न रूपों में महसूस किया और देखा जा रहा है, वैसे ही बच्चों को स्कूलों में वापस लाने की कोशिश हो रही है।