फरीदाबाद : आज विश्व स्ट्रोक-डे पर मैट्रो अस्पताल के न्यूरोलोजी विभाग के एचओडी व सीनियर कंसल्टेंट न्यूरोलोजिस्ट डॉ0 रोहित गुप्ता ने कहा कि स्ट्रोक मृत्यु का तीसरा सबसे बड़ा आम कारण है। यह भारत में वयस्क विकलांगता का प्रमुख कारण है। पिछले कुछ दशकों में विकसित देशों के मुकाबले जहां स्ट्रोक का प्रसार घट गया है भारत में स्ट्रोक का बोझ बढ़ते ही जा रहा है।
भारत में स्ट्रोक के प्रसार के बढऩे के कुछ कारण है जैसे धूम्र-पान, बढ़ती उम्र और शहरीकरण द्वारा लाइफस्टाईल में बदलाव। डब्ल्यूएचओ ने पाया है कि भारत में स्ट्रोक के बोझ का हाईपरटेन्शन, धूम्रपान, बढ़ता लिपिड स्तर और डाएबटीज़ कुछ बहुत महत्वपूर्ण कारण है। तीव्र स्ट्रोक/लकवाग्रस्त रोगियों के लिए थ्रोम्बोलाइसिस इंजेक्शन एक नई तकनीक है। मैट्रो अस्पताल नियमित आधार पर मस्तिष्क में धमनियों की रूकावट के उपचार के लिए थ्रोम्बोलाइसिस तकनीक का इस्तेमाल कर रही है।
उन्होंने बताया कि थ्रोम्बोलाइसिस तकनीक द्वारा अब तक 158 मरीजों को ठीक किया जा चुका है। इसके लिये उम्र की कोई समय-सीमा नहीं है। हमारे विभाग में उच्च न्यूरो इमेजिंग तकनीकी संसाधन है। तीव्र स्ट्रोक/लकवाग्रस्त 40 साल से कम के लोगों में भी हो सकता है। भारत में तीव्र स्ट्रोक/लकवाग्रसत से 10 से 15 प्रतिशत मरीज 40 से कम उम्र के होते है। थ्रोम्बोलाइसिस तकनीक 18 साल से ऊपर के किसी भी मरीज पर की जा सकती है। युवा मरीजों पर इसके रिजल्ट बहुत अच्छे होते है।
थ्रोम्बोलाइसिस की यह तकनीक लकवा होने के 4 व 5 घंटे तक की जा सकती है। तीव्र स्ट्रोक/लकवाग्रसत होने पर मरीज को जल्द से जल्द अस्पताल पहुंच जाना चाहिये। क्योंकि जल्दी से उपचार मिलने पर इसके परिणामों की प्राप्ति 100 प्रतिशत तक हो सकती है। डॉ0 रोहित गुप्ता ने बताया कि थ्रोम्बोलाइसिस चिकित्सा के उपयोग व जागरूकता पर जोर देने की जरूरत है। विंडो पीरियड का महत्व, थ्रोम्बोलाइसिस चिकित्सा का लाभ, स्ट्रोक के बारे में जानकारी होनी चाहिए।