November 17, 2024

चूहों के प्रकोप को खत्म करने के लिए रेलवे ने नियुक्त किया ‘कॉन्ट्रैक्ट किलर’

Lucknow : चूहों से निजात पाने के लिए रेलवे के पास कोई ऐसा बांसुरी वादक नहीं है जो मशहूर कविता ‘द पाइड पाइपर ऑफ हेमलिन’ की तरह अपनी बांसुरी की धुन पर चूहों को नचाते हुए ले जाए और ले जाकर नदी में छोड़ आए। इसीलिए रेलवे ने ब्रिटिशकालीन चारबाग रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्मों के नीचे सुरंगें बना चुके सैंकड़ों मोटे-मोटे चूहों से निजात पाने के लिए उन्हें मारने का ‘ठेका’ एक निजी कंपनी को दिया है।वरिष्ठ मंडलीय वाणिज्यिक प्रबंधक (उत्तरी रेलवे- लखनऊ) ए के सिन्हा ने कहा, ‘रेलवे की संपत्ति, सरकारी फाइलों और यात्रियों के सामान को भारी नुकसान पहुंचा चुके चूहों को मारने के लिए एक निजी कंपनी को 4.76 लाख रूपए का ठेका दिया गया है।’ सिन्हा ने बताया कि यह ठेका एक साल का है और काम इस माह के अंत में शुरू हो सकता है।

चूहे मारने वाला दल आसपास के इलाकों, प्लेटफॉर्मों, इमारतों और शंटिंग यार्डों को कवर करेगा। इसमें प्रतिमाह लगभग 40 हजार रूपए का खर्च आएगा। कंपनी चूहे मारने के लिए खाने योग्य चीजें बनाएगी और इसकी सामग्री विश्व स्वास्थ्य संगठन के नियमों के अनुरूप होगी। ऐसा ही एक अभियान वर्ष 2013 में चलाया गया था लेकिन तब इसके बाद की कार्रवाई न की जाने की वजह से नतीजे उम्मीद के अनुरूप नहीं रहे थे। अधिकारी ने कहा कि प्लेटफॉर्मों और आधिकारिक इमारतों में चूहों के प्रकोप के कारण पिछले साल विक्रेताओं का 10 लाख रूपए का भारी नुकसान हुआ। इससे न सिर्फ विक्रेता बल्कि यात्री भी डरे हुए हैं। चूहे क्लोक रूम में रखे हुए बैगों को भी कुतर गए। आपको आधा किलो के वजन वाले चूहे भी यहां नजर आ सकते हैं।

एक यात्री ने कहा, ‘इनसे बच्चों को भी खतरा है क्योंकि यदि आपका ध्यान नहीं होता है तो ये काट भी सकते हैं।’ स्नैक्स बेचने वाले एक विक्रेता ने कहा कि चूहे खाने के पैकेट भी कुतर जाते हैं और कोई ध्यान दे इससे पहले ही भाग जाते हैं। चूहों के इस आतंक के बीच रेलवे के कर्मचारियों को स्टेशन के रिकॉर्ड रूम में रखे महत्वपूर्ण सरकारी दस्तावेजों के टुकड़े इकट्ठे करने में काफी मशक्कत करनी पड़ती है। इस स्टेशन की नींव 1914 में रखी गई थी और इसकी इमारत 1923 में बनकर तैयार हुई थी।

लाल और सफेद रंग के पेंट वाले इस स्टेशन को भारत के सबसे खूबसूरत स्टेशनों में से एक माना जाता है।। इस भव्य स्टेशन में राजपूत, अवधी और मुगल वास्तुकला का मिश्रण है। लेकिन चूहों ने इस भव्य इमारत की नीवें खोद दी हैं।चारबाग स्टेशन की खासियत यह है कि आकाश से देखने पर इसकी इमारत शतरंज का बोर्ड लगती है। देश के सबसे व्यस्त रेलवे स्टेशनों में से एक चारबाग स्टेशन से 85 से ज्यादा यात्री ट्रेनें चलती हैं और 300 से ज्यादा ट्रेनें यहां से होकर गुजरती हैं।