फरीदाबाद : ग्राम भूपानी स्थित सतयुग दर्शन वसुन्धरा में एक विशेष कार्यक्रम ‘आओ बढ़ें बुढ़ापे से जवानी की ओर’ आयोजित किया गया। इस मौके पर मैनेजिंग ट्रस्टी रेशमा गांधी ने बताया कि स्वभावों की कठिन अवस्था में फंसे होने के कारण आज अधिकतर मानव शारीरिक-मानसिक व आत्मिक रूप से क्षीण व दुर्बल हो चुके हैं, ऐसे सभी सजनों को पुन: समभाव-समदृष्टि की युक्ति अनुसार आत्मिक ज्ञान प्राप्त कर, नौजवान युवावस्था में आने हेतु प्रेरित करने के लिए इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया है।
इस मौके पर ट्रस्ट के मार्गदर्शक सजन ने कहा कि जब कोई समभाव-समदृष्टि की युक्ति के विपरीत मनगढंत चलन अपना स्वार्थपर हो जाता है और उसके ह्मदय में सजनता के स्थान पर द्वि-द्वेष, वैर-विरोध, छल-कपट घर कर जाता है तब ही दंड रूप में बुढ़ापा सताता है। उन्होंने कहा कि युवावस्था में समरस बने रहने के विचार पर मानव जब ध्यान स्थिर नहीं रह पाता और उसकी बुद्धि से विचार ईश्वर अपना अठस का सत्य छूट जाता है तो मंद बुद्धि इंसान उस शक्तिशाली ब्राहृ भाव के अनुकूल मन का संचालन करने में असक्षम हो जाता है।
इस प्रकार मन से सन्तोष छूट जाता है और भ्रमित बुद्धि इंसान सांसारिक अज्ञान धारणा के प्रभाव से संशय रूपी रोग से ग्रसित हो, निज तृष्णा पूर्ति्त हेतु विषय-विकारों में फंस जाता है। तभी तो उसकी शारीरिक-मानसिक स्वस्थता के हेतु असंमय जरम-जहरीले विभिन्न रोगों का रूप धार उसके अन्दर उत्पन्न हो जाते हैं और उसकी युवावस्था भंग होने की क्रिया आरमभ हो जाती है। उन्होंने कहा कि आत्मिक ज्ञान के अनुशीलन द्वारा सात्विक आहारी व सत्य के व्यापारी बन वैसा ही आचार व्यवहार करते हुए सदाचार में बने रहना होगा।
इस तरह निज यथार्थ शक्ति का बोध करते हुए संतोष-धैर्य की ताकत से सच्चाई धर्म के रास्ते पर बने रह निष्काम कर्म द्वारा परोपकार कमाना होगा व उसी पर निर्विघ्न बने रह अपने जीवन का लक्ष्य यानि परमपद प्राप्त करना होगा।