गर्भवती महिलाओं में लगभग 6% महिलायें हाइपरटेंशन की शिकार होती हैं। या तो वे महिलायें पहले से ही हाइपरटेंसिव होती हैं या फिर गर्भवती होने के कारण उन्हें हाइपरटेंशन हो जाता है। अगर प्रेगनेंसी के 20 हफ्ते पहले से कोई महिला हाइपरटेंशन की शिकार है तो इसे एसेंशियल हाइपरटेंशन कहते हैं जबकि अगर ये हाइपरटेंशन प्रेगनेंसी पीरियड के दौरान हुआ है तो इसे प्रेगनेंसी इनड्यूसड हाइपरटेंशन (PIH) या गेसटेसनल हाइपरटेंशन कहते हैं। हालांकि प्रेगनेंसी के दौरान, प्रचलित एंटी हाइपरटेनसिव दवाइयों का इस्तेमाल कभी नही करना चाहिए।
तो फिर इस समय क्या करना चाहिए? वेल वुमन क्लिनिक, गुडगाँव की
गाइनकालजिस्ट डॉ. नूपुर गुप्ता बताती हैं कि, इसका सबसे सही तरीका है की आप पहले अपने डॉक्टर को ये बता दें की आपको हाइपरटेंशन है, फिर आपकी
गाइनकालजिस्ट
आपकी दवाइयां बदल देंगी। इसी तरह अगर आप गेसटेसनल हाइपरटेंशन की शिकार है, तो वो उसके हिसाब से आपको दवाइयां देंगी। इनके अलावा आप डॉक्टर से अपना ब्लड प्रेशर नियमित चेक करवाते रहें। अगर कोई महिला हाइपरटेनसिव है तो उसका ब्लड प्रेशर पहले 28 हफ़्तों तक प्रत्येक चार हफ्ते के अंतराल पर चेक किया जाना चाहिए फिर 28 से 36वें हफ्ते तक हर दो हफ्ते के नियमित अंतराल पर चेक कराते रहें और आखिरी में फिर 40 वें हफ्ते तक आपको सप्ताह में एक बार ज़रूर चेक करवाना होगा।
लक्षण
अगर आप अपना ब्लड प्रेशर घर पर ही चेक कर रही हैं तो ध्यान रखें की जैसे ही आपका लेवल 140/90 mm/Hg तक पहुंचे आपको तुरंत डॉक्टर को दिखा लेना चाहिए। इसका दूसरा लक्षण पैरों में सूजन होना भी है। अधिकतर महिलायें ये सोचती है कि प्रेगनेंसी के दौरान पैरों में सूजन होना आम बात है और वे इसे इग्नोर कर देती हैं लेकिन अगर भरपूर आराम करने के बाद भी आपकी सूजन नही जा रही है तो फिर आपको डॉक्टर के पास ज़रूर जाना चाहिए। गेसटेसनल हाइपरटेंशन के दूसरे लक्षण सिरदर्द ,सीने में जलन ,धुंधला दिखना और हाथ में सूजन होना भी है।
प्रेगनेंसी के दौरान अपने ब्लड प्रेशर को कैसे कंट्रोल करें
डॉ गुप्ता के अनुसार, आपके खाने में नमक की सीमित मात्रा ही, ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने का सबसे ज़रूरी और सही तरीका है। और आप हमेशा सही पोजीशन में आराम करें और अपने ब्लड प्रेशर को नियमित अंतराल पर चेक करती रहें। अपनी दवाइयों को सही समय पर लेना न भूलें।