नई दिल्ली : 67वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने राष्ट्र के नाम संदेश में कहा कि इस कठिन बताए जा रहे इस दौर में भारत की आर्थिक तरक्की दुनिया के लिए कौतूहल का विषय रही।
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि हमारी राष्ट्रीयता की मान्यताओं को नुकसान पहुंचाने वाली हिंसा की जघन्य घटनाओं का हमें संज्ञान लेना होगा। पढ़ें उनके संबोध्ान की 10 खास बातें…
1. हमारे लोकतंत्र ने जो हासिल किया है, हमें उसकी सराहना करना चाहिए। हमारी उत्कृष्ट विरासत, लोकतंत्र की संस्थाएं सभी नागरिकों के लिए न्याय, समानता तथा लैंगिक और आर्थिक समता सुनिश्चित करती हैं।
2. जब हिंसा की घृणित घटनाएं इन स्थापित आदर्शों, जो हमारी राष्ट्रीयता के मूल तत्व हैं, पर चोट करती हैं तो उन पर उसी समय ध्यान देना होगा।
3. हमें हिंसा, असहिष्णुता और अविवेकपूर्ण ताकतों से हमें खुद की रक्षा करनी होगी।
4. हमारे बीच ही कुछ शक करने वाले और लोभी किस्म के लोग भी होंगे।
5. हम असंतोष व्यक्त करने, मांग और विरोध करने का अपना रुख जारी रखें क्योंकि यही लोकतंत्र की खूबी है।
6. आज भारत एक उभरती हुई शक्ति है, एक देश जो विज्ञान, तकनीक, नवाचार और स्टार्ट-अप्स के क्षेत्र में वैश्विक नेता के रूप में तेजी से उभर रहा है।
7. इस वर्ष 7.3 प्रतिशत की अनुमानित वृद्धि दर के साथ भारत सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बन जाएगा।
8. साल 2015 चुनौतियों का साल रहा। साल के दौरान अंतरराष्ट्रीय अर्थवयवस्था मंद बनी रही।
9. ऐसे परेशानी भरे माहौल में किसी भी देश के लिए तरक्की करना आसान नहीं हो सकता। भारतीय अर्थव्यवस्था को भी इसका खामियाजा भुगतना पड़ा है।
10. 2015 में हमें कुदरत की बेरुखी का भी सामना करना पड़ा। मौसम के असामान्य हालात ने हमारे कृषि उत्पादन को प्रभावित किया है।