Health/Alive News: जोड़ों से संबंधित समस्याओं के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए हर साल 12 अक्टूबर को ‘वर्ल्ड अर्थराइटिस डे’ मनाया जाता है। इस संबंध में जानकारी देते हुए डॉ. अनुराग अग्रवाल, डायरेक्टर एवं एचओडी, आर्थोपेडिक्स एवं जॉइंट रिप्लेसमेंट, मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स फरीदाबाद ने बताया कि एक हफ्ते में ओपीडी में तक़रीबन 125-150 मरीज जोड़ों की समस्या लेकर आते हैं जिनमें 25-35 वर्ष की आयु के 30-35 प्रतिशत युवा लोग होते हैं। एक महीने में ऐसे मरीजों की संख्या लगभग 200 पहुंच जाती है। चिकित्सीय जाँच करने पर 200 में से 70 फीसदी महिला और 30 फीसदी पुरुष हैं। आमतौर पर अर्थराइटिस की समस्या बढ़ती उम्र के लोगों में देखने को मिलती है लेकिन आजकल की सुस्त जीवनशैली और खराब-खानपान के कारण कम उम्र के लोगों में भी जोड़ों में दर्द की समस्या देखने को मिल रही है। डेस्क जॉब के चलते फिजिकल एक्टिविटी न होने एवं तले-भुने मसालेदार खाद्य पदार्थों के अत्यधिक सेवन के कारण कम उम्र में वजन में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। हमारे शरीर के वज़न का कई गुना वजन सीधा हमारे घुटनों के जोड़ों पर पड़ता है। वज़न के तेजी से बढ़ने और समय रहते पर्याप्त ध्यान न देने के कारण घुटनों से संबंधित समस्या अधिक बढ़ जाती है और परिणाम स्वरुप घुटनों के प्रत्यारोपण की भी नौबत आ जाती है। वहीँ धूम्रपान एवं शराब के सेवन के प्रति युवा लोगों में रुझान तेजी से बढ़ा है जिससे उनके जोड़ों पर नकारात्मक असर पड़ता है।
सलाह
अर्थराइटिस से बचाव के लिए जोड़ों से संबंधित व्यायाम करना बहुत जरूरी है। अगर जोड़ों के चारों ओर का मसल्स मजबूत होगा तो जोड़ों में दबाव कम होगा जिससे अर्थराइटिस होने की संभावना भी कम हो जाती है। वॉकिंग करें क्योंकि यह शारीरिक गतिशीलता के लिए बहुत अच्छी होती है। जमीन पर आलती-पालथी मारकर न बैठें। जोड़ों के रोग से बचाव के लिए शरीर के बढ़ते वजन को नियंत्रित करें और जंक फ़ूड यानि तले-भुने एवं भारी मसालेदार खाद्य पदार्थों की बजाय घर में बना संतुलित आहार लें। धूम्रपान और शराब के सेवन से दूर रहें। अर्थराइटिस मरीज डॉक्टर की सलाह अनुसार नियमित व्यायाम करें। अगर आपको अर्थराइटिस की समस्या है तो हड्डी रोग विशेषज्ञ से मिलें और ठीक से जांच कराने के बाद सही इलाज कराएं। बिना डॉक्टर की सलाह के कोई घरेलू उपाय न करें क्योंकि इससे आपकी तकलीफ ज्यादा बढ़ सकती है। जोड़ों में दर्द के लिए खुद से पैन किलर दर्द निवारक का सेवन न करें क्योंकि दर्द निवारक दवाओं का अधिक सेवन करने से किडनी, लिवर जैसे महत्वपूर्ण अंगों को नुकसान पहुंच सकता है।
इलाज
घुटने व कूल्हे के जोड़ों के क्षतिग्रस्त होने पर जब दवाओं व फिजियोथेरेपी से उपचार असंभव हो जाता है तो दर्द से निजात पाने के लिए कुल्हा प्रत्यारोपण या घुटना प्रत्यारोपण ही सर्वोत्तम विकल्प होता है। पूर्ण जोड़ प्रत्यारोपण या आंशिक जोड़ प्रत्यारोपण आधुनिक युग की सर्वाधिक सफल शल्यक्रिया है। टोटल नी रिप्लेसमेंट ऑपरेशन अर्थराइटिस के पुराने रोगियों के लिए वरदान जैसा है। इस ऑपरेशन की सफलता का प्रतिशत बहुत अधिक है। आज रोबोटिक तकनीक घुटनों की प्रत्यारोपण सर्जरी के लिए सटीकता का एक नया आयाम प्रदान कर रही है। इससे मरीज को शीघ्र आराम मिलता है। रोबोटिक तकनीक से किये गए घुटने की प्रत्यारोपण सर्जरी में उच्च तथा उत्तम सटीकता के कारण रोगी को परंपरागत सर्जरी की तुलना में अधिक तेजी से स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होता है, अस्पताल से जल्दी छुट्टी मिल जाती है तथा सर्जरी के बाद मरीज को जोड़ में कृत्रिमता का अहसास बहुत कम होता है। इस सर्जरी के बाद काफी हद तक घुटने की प्राकृतिकता वापस आ जाती है। इस तकनीक से घुटनों की परंपरागत सर्जरी की तुलना में मरीज को अधिकाधिक गतिशीलता प्राप्त होती है। सर्जन केवल क्षतिग्रस्त हिस्से पर ही काम करते हैं जिसके कारण हड्डियों तथा मांसपेशियों को कम हानि पहुँचती है, रक्तस्राव भी कम होता है। सही एलाइनमेंट होने से परंपरागत घुटने की सर्जरी की तुलना में ज्वाइंट इंप्लांट की उम्र भी बढ़ जाती है। रोबोटिक असिस्टेड नी रिप्लेसमेंट सर्जरी आधुनिक तकनीक तथा सर्जन की कुशलता की जुगलबंदी का एक बेहतरीन उदाहरण है।