आज देश आजाद है मगर, यह आजादी इतनी आसानी से कहां मिली, आजादी के पीछे संघर्षों को आज की युवा पीढ़ी नहीं जानती क्योंकि उस पर ना ज्यादा लिखा गया, न ज्यादा बातें की गई।
हम मनाते हैं …आजादी की खुशी …15 अगस्त को स्कूल कॉलेज, सरकारी संस्थाओ में मगर आजादी के पीछे का संघर्ष दर्दनाक है। दर्द को महसूस किया है हमारे बुजुर्गों ने, देश को बटते देखा है, लाखों बेगुनाहों को मरते देखा है। काला दिन बना था 14 अगस्त 1947 की तारीख भारत भला कैसे भूल सकता है। एक तरफ 200 वर्षों की गुलामी के बाद आजादी मिलने वाली थी वहीं, दूसरी ओर देश के दो टुकड़े हो रहे थे। लाखों लोग इधर हो गए, घर बार छूटा, परिवार छूटा, लाखों जानें गई, तो दर्द को कैसे भुला सकते है। किसी विभीषिका से कम नही था हमें सिंधु छोड़ना पड़। देश के भूगोल, संस्कृति, समाज का बंटवारा हो गया और दो भागों में बट गया। अखंड भारत और पाकिस्तान एक तरफ 60 लाख से ज्यादा गैर मुस्लमान उस क्षेत्र से निकल आए जो बाद में पश्चिमी पाकिस्तान बन गया। 65 मुसलमान पंजाब, दिल्ली आदि के भारतीय हिस्सों में पश्चिमी पाकिस्तान चले गए।
देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2021 में इस दिन की शुरुआत करते हुए कहा कि देश के बंटवारे के दर्द को कभी भुलाया नहीं जा सकता। लाखों लोगों को विस्थापित होना पड़ा, अपनी जान गंवानी पडी। 14 अगस्त को विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के तौर पर याद किया जाए। इसे याद करते हुए कई संस्थाओं द्वारा कहीं पोस्टर कंपटीशन तो कहीं मौन प्रार्थना की, कही प्रदशर्नी का आयोजन होता है ताकि युवा इस दिन को याद रख सके। हमारे बुजुर्गों के संघर्ष को जान सके और सबक सीखे कि हमें अपने देश की सीमाओं की रक्षा करनी है। हमें अपने धर्म की रक्षा करनी है। हमें अपनी संस्कृत को बचाना है।
ताकि फिर कोई बहरूपिया हमारे देश को गुलाम न बना सके फिर कोई बटवारा ना हो फिर हमारी आजादी न छिनी जाए… सही मायने में तभी सार्थक होगी आजादी। कहते हैं कोई भी समाज व राष्ट्र तब तक जीवित है जब तक उसका इतिहास है और जब तक हम युवा पीढ़ी व आने वाली पीढी को इतिहास को नहीं जानेगे तो अपने देश की रक्षा कैसे करेंगे।
क्या पता फिर से इतिहास एक नए रूप में सामने आ रहा हो ? इसे हमेशा सतर्क रहकर अपने राष्ट्र के प्रति ईमानदार रहना चाहिए। हमने अपनी एकता खोई है, कुछ लालची लोगों के कारण अपने वतन को खोया है फिर कोई धर्म हमें न तोड़े फिर हम अपनी मां बेटियों को न खोए, फिर कोई ना हमारी संस्कृति मिटाने का काम न करे। इसलिए इतिहास को याद रखकर देश के लिए बड़े निर्णय लेने चाहिए।
(ये लेखक ट्विंकल के अपने निजी विचार हैं)