UP/Alive News : यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार ने राज्य के सबसे बड़े यश भारती पुरस्कारों की जांच के आदेश दिये हैं. गुरुवार देर रात संस्कृति विभाग का प्रेजेंटेशन देखने के बाद मुख्यमंत्री ने आदेश दिया कि पुरस्कार के मानदंडों की गहनता से समीक्षा की जाए. उनका कहना था कि पुरस्कार सिर्फ काबिल लोगों को मिलना चाहिए.
क्या है यश भारती पुरस्कार ?
यूपी सरकार साहित्य, समाजसेवा, चिकित्सा, फिल्म, विज्ञान, पत्रकारिता, हस्तशिल्प, संस्कृति, शिक्षण, संगीत, नाटक, खेल, उद्योग और ज्योतिष के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान करने वालों को हर साल यश भारती पुरस्कार देती है. अब तक अमिताभ बच्चन, अभिषेक बच्चन, जया बच्चन, ऐश्वर्या राय बच्चन, शुभा मुद्गल, रेखा भारद्वाज, रीता गांगुली, कैलाश खेर, नवाजुद्दीन सिद्दीकी, नसीरुद्दीन शाह सरीखी हस्तियों को ये पुरस्कार मिल चुका है. पुरस्कार पाने वालों को प्रशस्ति पत्र और शाल के अलावा 11 लाख रुपये दिये जाते हैं. इसके अलावा अगर विजेता आवेदन करते हैं तो उन्हें हर महीने 50 हजार रुपये की पेंशन भी दी जाती है. हालांकि अमिताभ बच्चन ये पेंशन नहीं लेते हैं.
उठाया था सवाल
इस महीने समाजवादी पेंशन योजना बंद करने के सरकार के फैसले के बाद यश भारती पुरस्कारों के तहत मिलने वाली रकम और पेंशन पर सवाल उठाये थे. पुरस्कारों की शुरुआत मुलायम सिंह यादव ने 1994 में की थी. पहले पुरस्कार के तहत 5 लाख रुपये दिये जाते थे. लेकिन बाद में इस रकम को बढ़ाकर 11 लाख किया गया था. मायावती ने अपनी सरकार आने के बाद ये पुरस्कार बंद कर दिये थे. लेकिन 2012 में अखिलेश यादव ने सरकार बनने के बाद इसे दोबारा शुरू करवा दिया था.
विवादों में पुरस्कार
अखिलेश सरकार पर पुरस्कारों की बंदरबांट के आरोप लगते रहे हैं. एक दफा पिछले सीएम ने पुरस्कार समारोह का संचालन करने वाली महिला को मंच से ही पुरस्कार देने का ऐलान कर दिया था. समाजवादी पार्टी के दफ्तर में काम करने वाले ऐसे 2 कर्मचारियों को भी पत्रकारिता के क्षेत्र में यश भारती पुरस्कार दे दिया जिनका पत्रकारिता से कोई वास्ता ही नहीं था. समाजवादी पार्टी पर अपने करीबियों को ये पुस्कार देने का आरोप लगता रहा है. अगर योगी सरकार की जांच में ये गड़बड़ियां साबित होती है तो अब तक जिन लोगों को ये पुरस्कार मिला है उनकी पेंशन रुक सकती है.