New Delhi /Alive News: नवरात्रि के चौथे दिन माँ कुष्मांडा की आराधना की जाती है। बता दें कि देवी कुष्मांडा का अष्टभुजा की देवी भी कहा जाता है। इस दिन माता को पेठे का भोग अर्पित किया जाता है। साथ ही पिले फल , फूल वस्त्र, मिठाई और मालपुआ भी चढ़ाया जाता है।
मां कुष्मांडा की अराधना करने वाले साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और भक्तों को सुख सौभाग्य की प्राप्ति होती है। मां कुष्मांडा को लेकर ऐसी मान्यता है पढ़ने वाले छात्र यदि कुष्मांडा देवी की पूजा करें तो उनके बुद्धि विवेक में वृद्धि होती है। दुर्गा माता के चौथे रूप में मां कुष्मांडा भक्तों को रोग, शोक, विनाश से मुक्त करके आयु, यश, बल और बुद्धि प्रदान करती हैं।
मां कुष्मांडा की पूजा में उपासकों को व्रत करने वाले लोगों को पीले रंग के वस्त्र पहनकर पूजा करनी चाहिए। मां को पीला रंग सबसे प्रिय है। मां की पूजा में पीले वस्त्र, पीले फल, पीली मिठाई और पीले फूल भी अर्पित करने चाहिए।
मां कुष्मांडा की पूजाविधि
नवरात्रि के चौथे दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें और मां कुष्मांडा का व्रत करने का संकल्प करें। पूजा स्थल को गंगाजल से पवित्र कर लें। लकड़ी की चौकी पर पीला कपड़ा बिछाकर मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित करें और मां कुष्मांडा का स्मरण करें। पूजा में पीले वस्त्र फूल, फल, मिठाई, धूप, दीप, नैवेद्य, अक्षत आदि अर्पित करें। मां के इस स्वरूप की पूजाने करने अनाहत चक्र जागृत होता है। सारी सामिग्री अर्पित करने के बाद मां की आरती करें और भोग लगाएं। सबसे आखिर में क्षमा याचना करें और ध्यान लगाकर दुर्गा सप्तशती और दुर्गा चालीसा का पाठ करें।