Faridabad/ Alive News: आगामी 21 जून को अंतर्र्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर स्वामी विवेकानंद योग सेवा संस्थान एवं इन्टरनेशनल नेचुरोपैथी आर्गनाईजेशन फरीदाबाद, एलायन्स क्लब इंटरनेशनल अरोग्य, फरीदाबाद वर्धमान महावीर सेवा सोसायटी फरीदाबाद एंड रेजीडेन्स वेलफेयर काउन्सिल सेक्टर 17 में केन्द्रीय योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा अनुसंधान परिषद आयुष मंत्रालय भारत सरकार द्वारा समग्र स्वास्थ्य देखभाल के क्षेत्र में योग को लेकर एक संगोष्ठी का आयोजन किया।
संगोष्ठी का शुभारंभ वाणिज्य, उद्योग व पर्यावरण मंत्री हरियाणा सरकार विपुल गोयल द्वारा किया गया। संगोष्ठी में मुख्य वक्ता के रूप में डा. शिव कुमार सैनी, योग विशेषज्ञ, आयुष विभाग यमुना नगर हरियाणा सरकार ने की। इस अवसर पर विपुल गोयल एवं शिव कुमार का सुभाष जैन, टी.डी.गुलाटी, एम.एल.जैन, अशोक कक्कर सहित अन्य आयोजकों ने फूलो का बुके देकर स्वागत किया। इस अवसर पर विपुल गोयल ने कहा कि योग शब्द संस्कृत धातु युज से निकला है जिसका मतलब है व्यक्तिगत चेतना या आत्मा का सार्वभौमिक चेतना या रूह से मिलन। योग भारतीय ज्ञान की पांच हजार वर्ष पुरानी शैली है। उन्होने कहा कि योग दस हजार 10000 वर्ष से भी अधिक पुराना है। मननशील परंपरा का सबसे तरौताजा उल्लेख नासदीय सूक्त में सबसे पुराने जीवन्त साहित्य ऋग्वेद में पाया जाता है। यह हमें फिर से सिन्धु.सरस्वती सभ्यता के दर्शन कराता है। उन्होने कहाकि योग धीरे.धीरे एक अवधारणा के रूप में उभरा है और भगवद गीता व महाभारत के शांतिपर्व में योग का विस्तृत उल्लेख मिलता है।
गोयल ने कहा कि उन्होने कहा कि पतंजलि को योग के पिता के रूप में माना जाता है और उनके योग सूत्र पूरी तरह योग के ज्ञान के लिए समर्पित रहे हैं। उन्होने कहा कि बुढे या युवा स्वस्थ फिट या कमजोर सभी के लिए योग का शारीरिक अभ्यास लाभप्रद है। यह सभी को उन्नति की ओर ले जाता है। यह योग सुंदरताओं में से एक है। उम्र के साथ साथ आपकी आसन की समझ ओर अधिक परिष्कृत होती जाती है। हम बाहरी सीध और योगासन के तकनिकी, बनावट पर काम करने बाद अन्दरूनी सुक्ष्मता पर अधिक कार्य करने लगते है और अंतत: सिर्फ आसन में ही जा रहे हैं।
इस अवसर पर शिव कुमार ने कहा कि बीस से भी अधिक उपनिषद और योग वशिष्ठ उपलब्ध हैं। जिनमें महाभारत और भगवद गीता से भी पहले से ही उस सर्वोच्च चेतना के साथ मन का मिलन होने को ही योग कहा गया है । हिंदू दर्शन के प्राचीन मूलभूत सूत्र के रूप में योग की चर्चा की गई है और शायद सबसे अलंकृत पतंजलि योगसूत्र में इसका उल्लेख किया गया है। उन्होने कहा कि योग हमारे लिए कभी भी अनजाना नहीं रहा है। हम यह तब से कर रहे हैं जब हम एक बच्चे थे। हम हमेशा शिशुओं को पूरे दिन योग के कुछ न कुछ रूप करते पाएंगे। बहुत से लोगों के लिए योग के बहुत से मायने हो सकते हैं। इस अवसर पर डी एन चौधरी, रविन्द्र मांगला, जी पी मल्होत्रा, संगीता शर्मा, नीना सैनी, डी डी शर्मा, टी एस सैनी, सतीश सैनी आदि उपस्थित थे।