Faridabad/Alive News : ‘मुझे तो राज तेरा पापिन, विष के बराबर है, जिसे तु राज कहती हे वो कंकर और पत्थर है ’ यह संवाद जब जागृति रामलीला में गूंजे तो वास्तव में रामानंद सागर की रामायण की याद आ गयी।
जिस तरह उस रामायण में कलाकारो ने अपनी कला को पूरी तरह से श्रीराम, लक्ष्मण, सीता, भरत के किरदारो में ढाल दिया था, उसी तरह रामलीला में भरत विलाप के दृश्य में भरत का किरदार कर रहे(योगेश भाटिया) ने अपनी कला के साथ पूरी तरह से ईमानदारी बरती और कला में पूरी जान फूं क दर्शकों को खुश किया।
कैकयी बने(मिथुन) ने भी अपने संवादो में पूरी तरह से जान डाल कर उन्हे दर्शको के समक्ष प्रस्तुत किया। जिसे देखकर उपस्थित जनसमूह ने तालियां की गडग़डाहट से उसका स्वागत किया।