Faridabad/Alive News : देश में जीरो बजट प्राकृतिक खेती की अलख जगा रहे हिमाचल प्रदेश के महामहिम राज्यपाल एवं गुरुकुल कुरुक्षेत्र के संरक्षक आचार्य देवव्रत जी के कुशल मार्गदर्शन में गुरुकुल के प्राकृतिक कृषि फार्म पर इस बार गेहूँ की बम्पर पैदावार हुई है। सबसे अहम बात यह है कि कृषि फार्म पर महाराष्ट्र की सबसे उन्नत किस्म बंसी गेहूँ की पैदावार साढ़े 12 क्विंटल प्रति एकड़ रही जो अपने आप में बड़ी बात है।
इससे भी हैरानी वाली बात यह है कि गुरुकुल की सारी गेहूँ को लोगों ने 4 हजार रूपये प्रति क्विंटल की दर से हाथों हाथ खरीदा और अब आलम यह है कि गुरुकुल में हर रोज इससे भी अधिक मूल्य पर बंसी गेहूँ खरीदने के लिए लोग आ रहे हैं मगर गेंहू की कमी के चलते उनकी डिमांड पूरी नहीं हो रही है। गुरुकुल प्रबंधन ने अगले सीजन में 40 एकड़ में बंसी गेहूँ की बुआई करने का निर्णय लिया है।
यह जानकारी देते हुए गुरुकुल के सह-प्राचार्य शमशेर सिंह ने बताया कि बंसी गेहूँ महाराष्ट्र की सबसे उन्नत देशी किस्म है जो हरियाणा की 306 से भी अच्छी मानी जाती है। इस बार गुरुकुल प्राकृतिक कृषि फार्म पर 11 एकड़ में बंसी गेहूँ की बुआई की गई थी जिससे 12.5 क्विंटल प्रति एकड़ उत्पादन प्राप्त हुआ है। उन्होंने बताया कि बंसी गेहूँ की बुआई 20 से 25 अक्तूबर के बीच होती है तथा लगभग 100 दिन में फसल पककर तैयार हो जाती है।
बंसी गेहँू की विशेताओं का वर्णन करते हुए शमशेर सिंह ने बताया कि बंसी गेहूँ का दाना अन्य किस्मों की अपेक्षा ज्यादा मोटा और चमकदार होता है। इसके आटो से बनी रोटियाँ दो-तीन दिनों तक नरम व मुलायम रहती हैं तथा खाने में अधिक स्वादिष्ट होती हैं। बंसी गेहूँ में प्रोटीन की मात्रा 17-18 प्रतिशत होती है जबकि अन्य गेंहूँ में यह केवल 11 प्रतिशत होती है। बंसी गेहूँ का तना मजबूत व सीधा होता है जो आंधी, बारिश आदि में नहीं गिरता और फसल को नुकसान नहीं होता।
निर्यात के लिए भी यह किस्म अति उत्तम है। बंसी गेहूँ में अन्य किस्मों से अधिक पोषक तत्त्व होते हैं जो हमारे शरीर को भरपूर पोषण देते हैं। बंसी गेहूँ एक्लाइन होता है जबकि अन्य गंेहूँ एसीडिक होते है। दूसरे शब्दों में कहें तो बंसी गेहूँ हमारे स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभदायक और पोषक तत्त्वों से भरा है, यही कारण है कि यह महाराष्ट्र की सबसे उन्नत देशी किस्म है।
गुरुकुल कुरुक्षेत्र के ‘जीरो बजट प्राकृतिक कृषि फार्म’ पर फसलों पर नई-नई खोज कर रहे कृषि वैज्ञानिक डॉ. हरिओम भी इस बात को स्वीकार करते हैं कि बिना खाद व दवाइयों के बंसी गेहूँ की 12.5 क्विंटल प्रति एकड़ औसत पैदावार अपनेआप में बड़ी बात है।
मगर गुरुकुल के प्रधान कुलवन्त सिंह सैनी, सह-प्राचार्य शमशेर सिंह और फार्म मैनेजर गुरदीप सिंह की अनथक मेहनत और परिश्रम से यह सम्भव हुआ है। उन्होंने कहा कि गुरुकुल द्वारा 40 एकड़ में बंसी गेहूँ लगाने का निर्णय किसानों के हित में है क्योंकि इससे गुरुकुल अधिक से अधिक किसानों को बंसी गेहू उपलब्ध करवा पाएगा तथा उन्हें जीरो बजट प्राकृतिक खेती के लिए भी प्रेरित करेगा।