September 28, 2024

पटना के फेमस ‘खान सर’ का असली नाम क्या अमित है? खुद दिया जवाब

New Delhi/Alive News : बिहारी अंदाज में जीएस के टॉपिक समझाने वाले ‘खान सर’ विवादों में आ गए हैं. ये​ विवाद शुरू हुआ 24 अप्रैल को उनके द्वारा डाले गए एक वीडियो के बाद, जिसमें उन्होंने पाकिस्तान में फ्रांस के राजदूत को देश से वापस भेजने के लिए हो रहे विरोध प्रदर्शन की मिस्ट्री समझाई. उन्होंने इस वीडियो में एक बच्चे की तस्वीर को पॉइंट करते हुए जो टिप्प्णी की, उसे लेकर विवाद शुरू हो गया है. अब सोशल मीडिया पर खान सर के खिलाफ मुहिम चलायी जा रही है. बहस उनके असली नाम को लेकर शुरू हो गई है.

दरअसल पटना वाले खान सर को GS के टॉपिक को देसी तरीके से आसान बनाकर पढ़ाने में महारथ हासिल है. वे इनके यूट्यूब पर वीडियोज बनाकर डालते हैं. उनके यू ट्यूब चैनल (Khan GS Research Centre) पर 92 लाख से ज्यादा सब्सक्राइबर्स हैं. अब अपने इन्हीं वीडियोज की वजह से खान सर विवादों में घिर गए हैं. सोशल मीडिया पर खान सर के विवादित वीडियो क्लिप्स वायरल किये जा रहे हैं. विवाद 24 अप्रैल को फ्रांस-पाकिस्तान के संबंधों पर डाले गए वीडियो से शुरू हुआ. इस वीडियो में वे एक जगह बताते हैं कि पाकिस्तान में फ्रांस के राजदूत को देश से वापस भेजने के लिए विरोध प्रदर्शन चल रहे हैं और इन विरोध प्रदर्शनों में बच्चे भी हिस्सा ले रहे हैं.

यहां पर विरोध प्रदर्शन करते बच्चे की तस्वीर को पॉइंट करते हुए खान सर बोलते हैं कि “ई रैली में ये बेचारा बचवा है. इसको क्या पता कि राजदूत क्या चीज होता है. कोई पता नहीं है. लेकिन फ्रांस को राजदूत को बाहर ले जाएंगे. इनको कुछ पता नहीं है. बाबू लोग, तुम लोग पढ़ लो. अब्बा के कहने पर मत आओ. अब्बा तो पंचर साट ही रहे हैं (माने बना ही रहे हैं). ऐसा ही तुम लोग भी करेगा तो बड़ा होकर तुम लोग भी पंचर साटेगा. तो पंचर मत साटो वरना तुमको तो पता ही है कि कुछ नहीं होगा तो चौराहा पर बैठकर मीट काटेगा तुम. बकलोल कहीं के. बताइए, ये उमर है बच्चों को यहां पर लाने का?”

अब बहस खान सर के असली नाम को लेकर शुरू हो गई है. इस विवाद और खान सर व अमित सिंह की पहचान को लेकर उनसे बात की. खान सर ने बताया कि “नाम से किसी को नहीं जानना चाहिए. बस इतना समझना चाहिए कि मेरा नाम क्या है, वो अलग बात है. और लोग हमें क्या कहकर बुलाते हैं, वो अलग है. नेल्सन मंडेला को अफ्रीका का गांधी कहा जाता है, लेकिन इस आधार पर आप यह नहीं कह सकते कि वो गांधी हैं. मुझे क्या कहा जाता है, इसके ऊपर मैं बहुत ज्यादा ध्यान नहीं देता. कुछ लोग मुझे कई नामों से बुलाते हैं. जिसमें से एक अमित भी है. खान सर बस एक टाइटल है. मेरा मूल नाम नहीं है. मैंने अपना पूरा नाम कभी नहीं बताया. टाइम आएगा तो सबको पता चल ही जाएगा. नाम में कोई बहुत बड़ा रहस्य नहीं छुपा है, लेकिन एक ट्रेंड है तो उसे चलने दिया जाए.”

पंचर बनाने और एक समुदाय विशेष के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी के आरोपों पर खान सर ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि “अप्रैल का वीडियो है. उस वीडियो से अगर कोई समस्या होती तो ये विवाद अप्रैल में शुरू होता. वो फ्रांस का विवाद था. वहां के लोगों को मैंने बस इतना बोला था कि आपस में मिलजुलकर रहना चाहिए. अगर विवाद पर फ्रांस के राजदूत को निकालेंगे तो कल को कोई और देश बोलगा, तो आप कितने देशों के राजदूत को निकालते चले जाएंगे. उसमें कुछ प्रोटेस्ट की फोटो भी थीं, जिनमें छोटे बच्चे भी थे. मैंने बस जोर देकर ये कहा था कि बच्चों को स्कूल जाना चाहिए. उन्हें तो राजदूत का मतलब भी नहीं पता. ये सब पाकिस्तान के बारे में कहा था. पाकिस्तान के बारे में बोलने का मतलब यह नहीं है कि किसी धर्म के बारे में बोल रहे हैं. अगर कोई कहता है कि हिंदुस्तान के लोगों की शिक्षा को और बेहतर करना है, तो इसका मतलब यह नहीं कि वो किसी धर्म के बारे में बोल रहा है. अब कोई जबरदस्ती धर्म को बीच में ले आए तो हम क्या कर सकते हैं.”

खान सर ने आगे कहा कि उन्होंने बस उन बच्चों के लिए कहा था कि पढ़ाई लिखाई कर लो. नहीं पढ़ोगे तो कोई अच्छा काम नहीं कर पाओगे. इसी पर पंचर बनाने का उदाहरण दे दिया था. अब कोई पढ़ा-लिखा होगा तो भूखे तो मरेगा नहीं. इसमें यह कह देना कि इस्लाम धर्म को निशाना बनाया, सही नहीं है. खान सर ने बताया कि उन्होंने कभी भी हिंदू धर्म और इस्लाम धर्म को निशाना नहीं बनाया. खान सर ने यह भी कहा कि जिन लोगों को उस वीडियो से समस्या है, उनसे कहिए कि उस क्लिप के 10 मिनट पहले का हिस्सा और 10 मिनट बाद का हिस्सा भी चलाएं. क्योंकि आधा सच पूरे झूठ से ज्यादा खतरनाक होता है.

खान सर ने कहा कि कोई अगर उस वीडियो को तोड़-मरोड़कर आधा-अधूरा देखेगा तो उसे तकलीफ होगी ही. लेकिन किसी को तकलीफ पहुंचाने का उनका इरादा कभी नहीं रहा. उन्होंने बताया कि उनका इरादा बस इतना है कि जो बच्चे सिविल सेवा परीक्षा में बैठ रहे हैं, उन्हें एग्जाम में अंतरराष्ट्रीय टॉपिक पर दो पेज लिखना होता है. जैसे इजरायल और फिलिस्तीन का मामला है. उसमें आपकी भावनाएं काम नहीं आएंगी. तो इस हिसाब से पूरा मामला विस्तार से बताना पड़ता है, ताकि बच्चों को समझ आ जाए. उन्हें याद रहे कहानी के तौर पर. खान सर ने यह भी कहा कि वह अभी तक 10 हजार घंटे से ज्यादा पढ़ा चुके हैं. उसमें से अगर किसी को 20 सेकेंड की क्लिप से समस्या हो रही है, तो इसका मतलब कि वो हकीकत से दूर है.