Faridabad/Alive News: शिक्षा विभाग के आदेश अनुसार सराय ख्वाजा स्थित राजकीय मॉडल सीनियर सेकेंडरी स्कूल में प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचंदा की अध्यक्षता में जूनियर रेडक्रॉस और सैंट जॉन एंबुलेंस ब्रिगेड ने विश्व ऑटिज्म दिवस पर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया।
असेंबली में छात्र छात्राओं को संबोधित करते हुए जूनियर रेडक्रॉस और सैंट जॉन एंबुलेंस ब्रिगेड अधिकारी प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचंदा ने बताया कि ऑटिज़्म एक न्यूरोलॉजिकल स्थिति है जो व्यक्ति में आजीवन रहती है।
बच्चों में कम आयु में ही इस स्थिति के विषय में विदित हो जाता है। यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम शब्द कई विशेषताओं को संदर्भित करता है। जो बच्चा ऑटिज़्म से पीड़ित होता है उसमें मुख्य तौर से सामाजिक दुर्बलता, बात करने में कठिनाई, प्रतिबंधित व्यवहार , व्यवहार में दोहराव और एक पैटर्न का दिखना स्पष्ट हो जाता है। ऑटिज़्म एक तंत्रिका संबंधी विकार है जो किसी व्यक्ति की दूसरों के साथ संवाद करने की क्षमता को प्रभावित करता है।
विकार बचपन में शुरू होता है और वयस्कता तक रहता है। प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचंदा ने बताया कि विश्व ऑटिज़्म दिवस का उद्देश्य ऑटिस्टिक लोगों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने में मदद करने की आवश्यकता पर प्रकाश डालना है ताकि वे समाज के अभिन्न अंग के रूप में पूर्ण और सार्थक जीवन जी सकें। इसका उद्देश्य व्यक्तियों को ऑटिज़्म के बारे में जागरुक करना है और उन सभी को सपोर्ट करना है जो इस विकार से जूझ रहे हैं।
ऑटिज़्म से पीड़ित व्यक्ति दूसरों पर बहुत निर्भर होते हैं। इसलिए इस दिन संयुक्त राष्ट्र ने सभी जनों से से एक साथ आने और ऑटिस्टिक लोगों का समर्थन करने का आग्रह किया। प्राचार्य मनचंदा ने कहा कि ऑटिस्टिक बच्चे का हम इन लक्षणों से पता लगा सकते है।
उदाहरण के लिए जब बच्चे का कॉन्फिडेंस कम हो और वह किसी से बात करते समय आई कॉन्टैक्ट न करें ऐसा करते समय उसे घबराहट हो। ऐसे बच्चे ज्यादा वक्त अकेला रहना ही पसंद करते हैं। उन्हें किसी के साथ उठना बैठना पसंद नहीं होता है।
इस बीमारी की अवस्था में आने के बाद बच्चे जब बात करते हैं तो अपने हाथों का प्रयोग नहीं करते हैं। ऐसे बच्चे किसी प्रकार का संकेत नहीं दे पाते हैं। एक ही प्रकार का गेम खेलना पसंद करने वाले बच्चे भी ऑटिज्म की चपेट में हो सकते हैं। इस प्रकार के बच्चे ऑटिस्टिक होते हैं।
प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचंदा, अध्यापक जसबीर, अजय गर्ग सहित सभी ने इस प्रकार के बच्चों को मनोवैज्ञानिक सपोर्ट देने का आग्रह किया था। कि उन में आत्मविश्वास जगा कर अपने आप को एक्सप्रेस करके अन्य बच्चों के समान सामान्य व्यवहार करने में और प्रत्येक प्रकार से स्वस्थ जीवन यापन करने में सफलता प्राप्त हो सके।