Delhi/Alive News:अधिक वजन के चलते पेरिस ओलंपिक 2024 के फाइनल मैच के लिए अयोग्य घोषित किए जाने के एक दिन बाद दिग्गज पहलवान विनेश फोगाट ने संन्यास का एलान कर दिया। इस खबर से पूरा देश स्तब्ध है। विनेश फोगट ने गुरुवार सुबह सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा “मां, कुश्ती मुझसे जीत गई, मैं हार गई..मेरी हिम्मत टूट गई। अब मुझमें और ताकत नहीं है। अलविदा कुश्ती 2001-2024। मैं हमेशा आप सभी की ऋणी रहूंगी। कृपया (मुझे) माफ कर दें।
विनेश के इस फैसले से प्रशंसक हैरान हैं। सोशल मीडिया पर कई लोग लिख रहे हैं, विनेश में अभी बहुत खेल शेष था, उनका ये फैसला जल्दबाजी वाला है।
इस फैसले पर उनके चाचा महावीर फोगाट ने कहा कि विनेश के पेरिस से लौटने के बाद उन्हें अगले ओलंपिक के लिए मनाएंगे। उन्होंने कहा, “इस बार ओलंपिक स्वर्ण पदक पक्का था लेकिन वह अयोग्य घोषित कर दी गई। यह दुखद है और इसलिए उसने यह फैसला किया है। एक बार जब वह वापस आ जाएगी, तो हम सभी उसे समझाने की कोशिश करेंगे।
विनेश ने वजन घटाने के लिए किया खूब मेहनत
भारतीय ओलंपिक टीम के डॉक्टर दिनशॉ पौडीवाला ने स्टेटमेंट जारी करके बताया कि विनेश और उनके कोच को 6 अगस्त की रात ही उनके ज्यादा वजन के बारे में पता चल गया था। इसके बाद विनेश पूरी रात नहीं सोईं और वजन को नियंत्रित के लिए जॉगिंग, स्किपिंग और साइकिलिंग जैसी एक्सरसाइज करती रहीं। विनेश ने अपने बाल और नाखून तक काट दिए थे। उनके कपड़े भी छोटे कर दिए गए थे। इसके बावजूद उनका वजन नहीं घट पाया।
प्रशंसक सोशल मीडिया पर लिख रहे हैं, ‘विनेश हमारी स्टार हैं, उन्हें अपना फैसला वापस ले लेना चाहिए’।
क्या कहते हैं मनोचिकित्सक?
अमर उजाला से बातचीत में भोपाल में वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉ सत्यकांत त्रिवेदी कहते हैं, ये विनेश का व्यक्तिगत निर्णय है, हम सभी इसका सम्मान करते हैं पर उन्हें इस फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए। कई बार भावनात्मक रूप से लिए गए फैसले सही नहीं होते हैं।
डॉक्टर सत्यकांत कहते हैं, जीवन में जब कभी भी कठिन समय आए, आपको भावनात्मक रूप से असहनीय पीड़ा का अनुभव हो रहा हो उस समय पर जीवन का कोई भी महत्वपूर्ण निर्णय लेने से बचना चाहिए। ऐसी परिस्थियों में लिए गए निर्णय कई बार पछतावा का कारण बनते हैं।
नकारात्मक परिस्थितियों में न लें कोई बड़ा फैसला
डॉ सत्यकांत कहते हैं, कठिन और नकारात्मक परिस्थितियों में कोई भी बड़ा फैसला न करें बल्कि उसे कुछ समय के लिए होल्ड पर डाल दें। हो सकता है कि एक-दो महीने के बाद अगर आप वही निर्णय लेना चाहें तो वो चेतना के हिसाब से ज्यादा बेहतर और परिपक्व साबित हो। आमतौर पर खराब मानसिक स्वास्थ्य या नकारात्मक परिस्थितियों में कोई भी बड़ा फैसला करने से बचना चाहिए।
मेरा विनेश फोगट से भी अनुरोध है कि एक बार वह सन्यास के अपने फैसले को होल्ड पर डालें तो कुछ समय के पश्चात इसपर फिर से विचार करें।
विनेश में शेष हैं अपार संभावनाएं
डॉ सत्यकांत कहते हैं, खिलाड़ियों के जीवन में उतार-चढ़ाव बना रहता है। कभी हार-कभी जीत, कभी उत्साह कभी निराशा ये जीवन का हिस्सा है। विनेश की उम्मीदें जरूर टूटी हैं और पूरे देश को इससे दुख है पर अभी बहुत लंबा जीवन और खेल की अपार संभावनाएं उनमें शेष हैं। रिजेक्शन भी खेल का हिस्सा है इसकी हैंडेलिंग सीखना भी आना जरूरी है।
युवराज सिंह जैसे खिलाड़ियों ने कैंसर को मात देकर देश के विश्वकप में जीत हासिल कराई, ये परिस्थितियों में स्वीकारते हुए आगे बढ़ने और बेहतर करने के सबसे अच्छे उदाहरण हैं। मुझे उम्मीद है कि विनेश अगर फैसले पर फिर से विचार करती हैं तो बड़ी बात नहीं आने वाले वर्षों में उनके गले में कई मेडेल्स सुशोभित हो रहे हों।