New Delhi/Alive News : देश के उपराष्ट्रपति पद के लिए केंद्र में सत्तासीन भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) सोमवार शाम को बैठक कर अपने प्रत्याशी का ऐलान कर सकती है. पार्टी के शीर्षस्थ सूत्रों ने संकेत दिए हैं कि प्रत्याशी के दक्षिण भारतीय होने की संभावना है.
माना जा रहा है कि केंद्रीय मंत्री एम. वेंकैया नायडू इस पद के लिए प्रत्याशी बनाए जाने की दौड़ में सबसे आगे हैं, लेकिन लेकिन सूत्रों ने इस मुद्दे पर कोई टिप्पणी नहीं की, क्योंकि यह फैसला प्रधानमंत्री को करना है कि वह अपने मंत्रिमंडल में से एक कैबिनेट सदस्य को कम कर सकते हैं या नहीं. माना जा रहा है कि इसी वजह से राष्ट्रपति चुनाव के लिए भी किसी कैबिनेट मंत्री को नहीं चुना गया था.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने पिछले सप्ताह बैठक कर उपराष्ट्रपति पद के प्रत्याशी को लेकर विचार-विमर्श किया था, और दोनों नेताओं द्वारा सोमवार को पार्टी की शीर्ष संस्था संसदीय बोर्ड के समक्ष अपने विचार रखने की संभावना है.
राष्ट्रपति पद के लिए सोमवार को मतदान हो रहा है, जिसमें बीजेपी, यानी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के प्रत्याशी रामनाथ कोविंद की जीत लगभग तय है. सत्तारूढ़ गठबंधन के उपराष्ट्रपति पद के प्रत्याशी को भी कुल 787 सांसदों में से 557 का समर्थन मिल जाने की संभावना है.
पार्टी सूत्रों के अनुसार, बीजेपी तथा उसके सलाहकार अपने प्रत्याशी में तीन खासियतें चाहते हैं – उपराष्ट्रपति पद के प्रत्याशी की बीजेपी तथा उसके वैचारिक संरक्षक कहे जाने वाले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के मूल्यों में विश्वास रखने की पृष्ठभूमि होनी चाहिए, राज्यसभा के सभापति के रूप में सदन के निर्बाध संचालन की क्षमता होनी चाहिए (संसद के उच्च सदन में बीजेपी फिलहाल अल्पमत में है), तथा वह बीजेपी के समर्थक वर्गों में से किसी एक का प्रतिनिधि होना चाहिए, जैसे राष्ट्रपति पद के प्रत्याशी रामनाथ कोविंद दलित वर्ग से संबंध रखते हैं.
इसी साल मई में पत्रकारों द्वारा बातचीत के दौरान सवाल किए जाने पर वेंकैया नायडू ने शब्दों से खेलने की अपनी कला का प्रदर्शन करते हुए खुद को राष्ट्रपति तथा उपराष्ट्रपति पद की दौड़ से बाहर बताया था. उन्होंने कहा था, “न मैं राष्ट्रपति बनना चाहता हूं, न उपराष्ट्रपति बनना चाहता हूं… मैं ‘उषापति’ बनकर ही खुश हूं…”
पार्टी के भीतरी सूत्रों का कहना है कि वेंकैया नायडू को उपराष्ट्रपति पद का दावेदार बनाए जाने से तेलंगाना और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में पार्टी की पैठ बढ़ेगी.
गौरतलब है कि विपक्षी दलों ने पिछले सप्ताह राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के पौत्र गोपालकृष्ण गांधी को उपराष्ट्रपति पद के लिए अपनी ओर से प्रत्याशी घोषित किया था. गोपालकृष्ण गांधी राज्यपाल भी रह चुके हैं, और उनके नाम पर राष्ट्रपति पद के प्रत्याशी के रूप में भी चर्चा की गई थी.