December 25, 2024

परम पूज्य गोपालकृष्ण गोस्वामी महाराज को श्रद्धांजलि

Faridabad/Alive News: इस्कॉन मंदिर, सेक्टर 37, फरीदाबाद में स्मृति सभा आयोजित कर परम पूज्य गोपालकृष्ण गोस्वामी महाराज को श्रद्धांजलि अर्पित की। इस दिन की शुरुआत प्रातः साढ़े 4 बजे मंगल आरती के साथ हुई, उसके बाद जप, कीर्तन हुआ और फिर विभिन्न भक्तों ने परम पूज्य गोपाल कृष्ण गोस्वामी महाराज की महिमा का गुणगान किया और अंत में सभी को प्रसाद वितरित किया गया। इस्कॉन इंडिया के चेयरमैन संत गोपालकृष्ण गोस्वामी का 5 मई, रविवार को देहरादून में निधन हो गया था। उनके पार्थिव शरीर को दर्शन के लिए दिल्ली लाया गया और फिर अगले दिन वृंदावन ले जाया गया, जहां उनकी समाधि बनाई गई।

संत गोपालकृष्ण गोस्वामी भारतीय संस्कृति और दर्शन के दुनिया के सबसे बड़े प्रकाशक भक्तिवेदांत बुक ट्रस्ट के ट्रस्टी भी रहे हैं। उन्होंने अन्नामृत फाउंडेशन की भी शुरुआत की। यह फाउंडेशन आज भारत भर के 20 हजार से अधिक स्कूलों में 12 लाख से अधिक सरकारी स्कूली छात्रों को पौष्टिक भोजन प्रदान करता है। उन्होंने 70 से अधिक देशों में हजारों लोगों को भक्तियोग की प्रक्रिया में भी दीक्षित किया। राष्ट्राध्यक्षों से लेकर प्रमुख व्यापारियों, छात्रों और समाज के आम लोगों तक, वे सभी एक मित्र, दार्शनिक और मार्गदर्शक के रूप में जाने जाते थे।

हरियाणा के फरीदाबाद से सांसद श्री कृष्णपाल गुर्जर जी ने कहा कि – इस्कॉन के परम पूज्य संत गोपालकृष्ण गोस्वामी जी महाराज का गोलोकगमन जगत के लिए अपूर्णीय क्षति है। उन्होंने अपना जीवन सर्वजीव सेवा और भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति में लगाया। इस दुखद घड़ी में ईश्वर उन्हें परमधाम में स्थान व शोकाकुल अनुयायियों को यह दुःख सहने की शक्ति प्रदान करें।
मंदिर के अध्यक्ष गोपीश्वर दास ने कहा कि “परम पूज्य गोपालकृष्ण गोस्वामी महाराज जी का तिरोभाव एक बहुत ही दुःखद घटना है क्योंकि अब हमें महाराज का व्यक्तिगत संग इस जीवन में नहीं मिल पाएगा, साथ ही साथ शास्त्र व साधु मत है कि गुरु कभी अप्रकट नहीं होते।

चाहे वे मूर्तिमान रूप, व्यक्तिगत रूप में हमारे बीच न भी हों, परन्तु वाणी रूप में, अपनी शिक्षाओं के रूप में सदैव हमारे बीच है। हम सभी फरीदाबाद निवासिओं का बहुत बड़ा सौभाग्य है कि महाराज के करकमलों से अतिसुन्दर श्री श्री राधा गोविन्द और श्रीराम दरबार की प्राण प्रतिष्ठा हमारे शहर में सेक्टर 37, श्री राधा गोविन्द धाम में हुई। सभी शिष्य समू‌ह एकजुट हैं कि महाराज की शिक्षाओं का आजीवन पालन करें और उनकी इच्छानुसार अधिक से अधिक लोगों को आध्यात्मिक शिक्षा यथारूप पहुंचाएं और उन्हें कृष्ण भक्ति में जोड़े।”