आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाते हैं। इस खास मौके पर शिष्य अपने गुरुओं की पूजा-अर्चना करते हैं। गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है। आषाढ़ मास की पूर्णिमा के दिन ही महर्षि वेद व्यास का जन्म हुआ था। हिंदू धर्म में कुल पुराणों की संख्या 18 है। इन सभी के रचयिता महर्षि वेदव्यास हैं। इस साल गुरु पूर्णिमा 24 जुलाई यानी आज दिन शनिवार को मनाई जा रही है।
गुरु पूर्णिमा का महत्व
भारतीय सभ्यता में गुरु का विशेष महत्व होता है। गुरु अपने शिष्यों को गलत मार्ग पर चलने से रोकता है और सही रास्ते पर चलने के लिए प्रेरित करता है। गुरुओं के सम्मान में आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा का त्योहार मनाया जाता है।
गुरु पूर्णिमा की पूजा विधि
इस दिन सुबह उठकर पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए। लेकिन कोरोना काल में बेहतर होगा कि आप घर पर ही नहाने के पानी में गंगाजल डालकर स्नान कर लें। इस दिन भगवान विष्णु के समक्ष दीपक जलाकर उनके वैदिक मंत्र का जाप करें। विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें। मान्यता है कि ऐसा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इस दिन भगवान को खीर का भोग लगाएं। जरूरतमंदों को कुछ न कुछ दान जरूर करें। इस दिन बरगद के पेड़ की भी पूजा करनी चाहिए।