Bilaaspur/Alive News : काश कि इंसान भी र्पंरदों सा आजाद होता। अपनी ही बनाई सरहदों में कैद इंसान को र्पंरदे तक मुंह चिढ़ा रहे हैं। मानो सीधी चुनौती दे रहे हों कि तुम अधिक बुद्धिमान हो या हम। तुम अधिक स्वतंत्र हो कि हम। क्या इंसान इन बेजुबानों की चुनौती को स्वीकार करेगा? हजारों ओपन बिल स्टॉर्क पक्षी भारत-पाकिस्तान सीमा को लांघकर कनकी पहुंच चुके हैं।
छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में नदी किनारे बसा कनकी गांव हर गर्मियों की तरह ही इस बार भी प्रवासी पक्षियों के समृद्ध बसेरे में तब्दील हो चुका है। इंसानी सरहदों को तोड़ यहां पहुंचे ये हजारों पक्षी इंसान को मौलिक स्वतंत्रता के मायने समझा रहे हैं।
सरहद की लकीरों और तमाम बंदिशों से दूर ये यहां कुछ वक्त प्रवास करेंगे और फिर वापस उड़ जाएंगे। हजारों मील की यात्रा कर एशियन ओपन बिल स्टॉर्क हजारों की संख्या में यहां हर साल आते हैं। पाकिस्तान ही नहीं बांग्लादेश, श्रीलंका, इंडोनेशिया जैसे अन्य एशियाई देशों से भी इनका पूरा कुनबा यहां जुटता है।
वे गांव के मंदिर के करीब लगे बड़े दरख्तों और नदी किनारे के ऊंचे पेड़ों में घोसला बना रहे हैं। हालांकि इनकी आमद जून से शुरू होती है, लेकिन इस बार अधिक तापमान उन्हें वक्त से पहले ही खींच लाया है। जीवविज्ञानी प्राध्यापक डॉ. कल्पना राय बताती हैं कि यहां का तापमान, आबोहवा, नदी का किनारा, बड़े वृक्ष और भोजन की उपलब्धता इन प्रवासी पक्षियों को कनकी तक खींच लाती है।
यही कारण है कि वे हर साल यहां पहुंचते हैं। करनकुल या काला बाज कही जाने वाली काले रंग की यह बड़ी चिड़िया मुख्य रूप से पड़ोसी देश पाकिस्तान व बांग्लादेश में पाई जाती है। वर्ष 2010 में प्रवासी पक्षी ब्लैक आइबिस को पहली बार यहां देखा गया था।
आमतौर पर मई और जून में जब भीषण गर्मी पड़ती है, तब ये प्रवासी पक्षी लंबी-चौड़ी टोलियों में यहां पहुंचने लगते हैं। अक्टूबर-नवंबर के बीच ये वापस लौट जाते हैं। अब तक कनकी में करीब पांच हजार मेहमान जुट चुके हैं। देखते ही देखते इनकी संख्या बढ़ती जाएगी।
स्थानीय ग्रामीण भी इन मेहमानों को कोई नुकसान नहीं पहुंचाते हैं। ग्रामीणों और पक्षियों के बीच मानो एक अनोखा रिश्ता कायम हो गया है। वे उनकी रक्षा करते हैं। उनकी मान्यता है कि इन पक्षियों के आने से अच्छी बारिश और अच्छी फसल होती है। वन विभाग भी पक्षियों के शिकार पर प्रतिबंध लगा देता है। बारिश में बिजली की मार से इन्हें बचाने के लिए ऊंचे पेड़ों पर तड़ित चालक भी लगाए गए हैं।
क्या कहते हैं पर्यटक
बिलासपुर से पहुंचे अमन तिवारी के मुताबिक हजारों पंछियों को एक साथ खुले आसमान में उड़ान भरते देखना अपने आप में अनोखा अनुभव है। पिछले साल भी दोस्तों के साथ कनकी पहुंचे पुणे के लोकेश गुप्ता का कहना है कि इस क्षेत्र में सुविधा व संसाधनों को दुरुस्त किया जाए तो एक अच्छा पर्यटन केंद्र विकसित किया जा सकता है।