‘बगावत, रंजिशे उफ्फ ये खून-खराबा, आ चल ऐसी दुनिया में जहां सिर्फ मोहब्बत, मैं और तुम हो’…..
जब कोई इंसान प्यार में होता है तो वो दुनियादारी से कटने लगता है. बड़ी से बड़ी सल्तनत मिलने पर भी उन्हें खुशी नहीं मिलती. लेकिन कहते हैं न, ‘कभी किसी को मुकम्मल जहां नहीं मिलता, कहीं जमीं तो कहीं आसमां नहीं मिलता’. कुछ ऐसी ही कहानी है दिल्ली की सल्तनत को अपने नाम करने वाली ‘रजिया सुल्तान’ की लवस्टोरी. भारत की पहली महिला शासक की जिंदगी की कहानी जितनी रोचक है उससे भी कहीं ज्यादा उनकी प्रेम कहानी गर्दिशों से जूझती हुई है, जिसके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं.
अपने पिता की मौत के बाद संभाली थी दिल्ली सल्तनत
शम्स-उद-दिन इल्तुतमिश की मौत के बाद उनके बड़े बेटे को दिल्ली की राजगद्दी पर बैठाया गया था. ऐतिहासिक कहानी के मुताबिक पहले उनके बड़े बेटे को उत्तराधिकारी के रुप में तैयार किया गया परन्तु दुर्भाग्यवश उसकी बहुत कम उम्र में मृत्यु हो गई थी लेकिन मुस्लिम राजवंश को इल्तुतमिश का किसी महिला को वारिस बनाना नामंजूर था, इसलिए उसकी मौत के बाद उसके छोटे बेटे रक्नुद्दीन फिरोज शाह को राज सिंहासन पर बैठाया गया. रक्नुद्दीन, का शासन बहुत ही कम समय के लिये था. विलासी और लापरवाह रक्नुद्दीन के खिलाफ जनता में इस सीमा तक आक्रोश उमड़ा, कि 9 नवंबर 1236 को रक्नुद्दीन तथा उसकी माता, शाह तुर्कान की हत्या कर दी गयी. उसका शासन मात्र छह महीने का था. इस वजह से मुस्लिम राजवंश के आला अधिकारियों ने रजिया सुल्तान को दिल्ली की बागडोर दे दी.
अपने सलाहकार याकूत से कर बैठी थी मोहब्बत
रजिया को अपने सलाहकार जमात-उद-दिन-याकूत से मोहब्बत हो गई थी. दोनों एक-दूसरे को बेइंतहा चाहते थे लेकिन मुसलमान शासकों को एक शासिका की ये बात पसंद नहीं आई. जबकि रजिया अपनी मोहब्बत के साथ फर्ज को भी बखूबी निभा रही थी. बताया जाता है कि रजिया के प्रेमी याकूत से नफरत करने की सबसे बड़ी वजह ये थी कि याकूत तुर्की नहीं था. साथ ही रजिया ने युद्ध के घोड़ों की जिम्मेदारी देते हुए याकूत को घुड़शाला का अधिकारी नियुक्त कर दिया था. एक घुड़शाला में काम करने वाले व्यक्ति के साथ दिल्ली की सुल्तान का निकाह राज्यपालों, उच्च अधिकारियों और मुस्लिम राजवंश के सूबेदारों को पसंद नहीं था.
अल्तुनिया ने याकूत को मारकर रजिया से किया निकाह
भटिंडा के राज्यपाल मल्लिक इख्तियार-उद-दिन-अल्तुनिया को रजिया की खूबसूरती भा गई थी. उसने दिल्ली पर कब्जा करने के इरादे से दिल्ली पर हमला बोल दिया और रजिया की पहली मोहब्बत याकूत को मारकर रजिया को बंदी बना लिया.
दिल्ली को बचाने के लिए कर ली अल्तुनिया से शादी
अपने पिता से किया हुआ वादा पूरा करने के लिए रजिया ने अल्तुनिया से शादी कर ली. कहते हैं कि अपने फर्ज की खातिर रजिया ने बेशक अल्तुनिया से शादी कर ली लेकिन वो उम्रभर याकूत को ही चाहती रही. इसी बीच रजिया के भाई, मैजुद्दीन बेहराम शाह ने सिंहासन हथिया लिया. अपनी सल्तनत की वापसी के लिये रजिया और उसके पति, अल्तुनिया ने बेहराम शाह से युद्ध किया, जिसमें उनकी हार हुई. उन्हें दिल्ली छोड़कर भागना पड़ा और अगले दिन वो कैथल पंहुचे.
जाट शासकों को देखकर भाग गई थी रजिया की सेना
कैथल में रजिया और उसके पति का सामना जाट राजाओं से हुआ. जहां उनकी सेना ने दोनों का साथ छोड़ दिया. जाट राजाओं ने अल्तुनिया को मारने के बाद रजिया को भी मार दिया. जबकि दूसरी तरफ ये भी कहा जाता है कि अपनी इज्जत बचाने के लिए रजिया ने आखिरी बार याकूत का नाम लेते हुए खुद को तलवार मार ली.
पति नहीं पहले प्यार के साथ बनी है कब्र
रजिया सुल्तान और उनके प्रेमी याकूत की कब्र का दावा तीन अलग-अलग जगह पर किया जाता है. हालांकि, रजिया की मजार को लेकर इतिहासकार एक मत नहीं है. रजिया सुल्तान की मजार पर दिल्ली, कैथल एवं टोंक अपना अपना दावा जताते आए हैं. अलग-अलग समय पर इतिहासकार इस बारे में अपनी थ्योरी पेश करते रहे हैं लेकिन इतना तो तय है कि रजिया के साथ उनके प्यार याकूत की ही कब्र है. जबकि अल्तुनिया का नाम केवल इतिहास की एक घटना के रूप में ही रजिया के साथ जोड़ा जाता है